भागलपुर : यह एक अच्छी सुबह थी. सूरज तल्ख नहीं था. मतदान का दिन बीत चुका था. शहर भी जैसे एक भव्य आयोजन के बाद रिलैक्स मूूड में था. खामोशी से अपने पुराने ढर्रे पर लौटता. कामगार काम की तलाश में निकल रहे थे. नौकरीपेशा, ड्यूटी पर जाने की तैयारी में थे.
पिछले कुछ दिनों से शहर का एकदम से चढ़ा हुआ राजनीतिक तापमान उतर रहा था. पिछले दिनों के राजनीतिक बुखार, सियासी चर्चाओं व जीत-हार की गणित के बीच अपने आसपास की कई चीजें नेपथ्य में चली गयी थी. मंच पर नहीं दिखनेवाले कई मामले एक बार फिर से अपनी गंभीरता के साथ सामने आ गयी थी. देखा आपने कि कई दिनों से अापके मोहल्लों की सफाई ठीक तरीके से नहीं हुई है.
कई जगह कचराें का ढेर लग गया है. एक बार फिर से ध्वस्त हो रही शहर की सफाई व्यवस्था के लिए निगम की उदासीनता की भी चर्चा होनी शुरू हो गयी. यह इसलिए भी कि मंगलवार से शारदीय नवरात्र भी शुरू हो गया. लोग सुबह से ही गंगा स्नान के लिए निकल रहे थे. एक पवित्र माहौल में मां दुर्गा की आराधना शुरू हो चुकी है. सफाई की यह लचर व्यवस्था कहीं न कहीं इस दिव्य माहौल में कांटे सी चुभ जाती है. जो सड़कें कल तक सूनी थीं, आज वहां चहल-पहल बढ़ गयी है. फिर से वाहनों का रैला सड़क पर दिखने लगा है.
इन सड़कों पर गड्ढे पहले भी थे, आज भी हैं. लेकिन चुनावी सरगर्मी में कभी भी खास मुद्दा नहीं बन सकनेवाले ये गड्ढे, आज अचानक से परेशान करने लगे हैं. कल तक तो बाजार से भीड़ गायब थी. लेकिन अब बाजार की रौनक बढ़ गयी है. उजाड़ बाजार अब खूबसूरत, सजा संवरा दिख रहा है. खरीदार हैं, तो दुकानदार के चेहरे भी खिल गये हैं. हो भी क्यों न. दशहरा का समय है. चुनावी तापमान घटा तो त्योहार का रंग चढ़ा.कल तो जो मैदान रैली व सभा के लिए बुक थे, आज वहां फिर से बल्ले-बॉल का खेल शुरू हो गया है. इवनिंग व मार्निंग वॉकर निश्चिंतता के साथ घूम रहे हैं. कल तक जो मैदान वर्क लोड से दोहरा हो रहे थे, आज मुस्करा रहे हैं. एक बड़े आयोजन के बाद शहर में काफी कुछ अपने पुराने ढर्रे पर लौट रहा है.