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जिले में शुरू हुआ धान के बिचड़ा का काम

– बिचड़ा के लिए बारिश उपयुक्त – जिले के धान की खेती वाले क्षेत्रों में किसानों ने शुरू किया बिचड़ा का काम संवाददाता,भागलपुरजिले के धान खेती वाले क्षेत्रों शाहकुंड, सन्हौला, गोराडीह, कहलगांव, नाथनगर, सबौर, पीरपैंती, जगदीशपुर आदि क्षेत्रों में मॉनसून के आगाज के साथ ही दो दिनों से भारी बारिश हो रही है. कृषि विशेषज्ञों […]

– बिचड़ा के लिए बारिश उपयुक्त – जिले के धान की खेती वाले क्षेत्रों में किसानों ने शुरू किया बिचड़ा का काम संवाददाता,भागलपुरजिले के धान खेती वाले क्षेत्रों शाहकुंड, सन्हौला, गोराडीह, कहलगांव, नाथनगर, सबौर, पीरपैंती, जगदीशपुर आदि क्षेत्रों में मॉनसून के आगाज के साथ ही दो दिनों से भारी बारिश हो रही है. कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि यह बारिश धान के किसानों के लिए उपयुक्त है. खास कर बिचड़ा गिराने का. किसान भी बिचड़ा का काम शुरू कर दिये. बिचड़ा के लिए भूमि होता है ऊंचा जिला कृषि कार्यालय के कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि दो दिनों में हुई बारिश बिचड़ा के लिए उपयुक्त है. दो से चार दिन तक और बारिश हो जाती है तो कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन इससे अधिक बारिश होने पर बिचड़ा को भी हानि पहुंचायेगा. पानी वाले बिचड़ा को अछारा कहते हैं, जबकि सूखे में बोये गये धान को रस कहते हैं. बिचड़ा के लिए जमीन को ऊंचा रखना पड़ता है और बिचड़ा के चारों नाला खोद दिया जाता है, ताकि बिचड़ा में बारिश का पानी फंसे नहीं और बारिश का पानी नाले में जमा हो जाये. बारिश नहीं होने पर नाले का पानी सिंचाई में काम आ जाये. न्यूनतम 10 से 12 दिन में बिचड़ा तैयार हो जाता है और उस बिचड़ा को उखाड़ कर फिर खेत में रोपनी की जाती है.रोपनी से बिचड़ा की भूमि 10 गुनी कम कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि एक एकड़ भूमि में धान रोपनी के लिए 10 डिसमिल में बिचड़ा बोना होता है. जैसे जिले के धान आच्छादन के लक्ष्य के अनुरूप 5,200 हेक्टेयर में बिचड़ा गिरेगा तभी 52,000 हेक्टेयर में धान की रोपनी होगी. इस प्रकार 10 गुनी कम भूमि में बिचड़ा बोना पड़ता है.

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