यह संभावना इसलिए भी है कि दिल्ली पुलिस 15-16 सवालों की प्रश्नावली विश्वविद्यालय प्रशासन को देकर गयी है. उसमें एक सवाल यह है कि तोमर ने जिन वर्षो में परीक्षा दी थी और उन्हें जिस वर्ष प्रमाणपत्र जारी किया गया, उस दौरान कौन-कौन से कर्मचारी व पदाधिकारी कार्यरत थे. अन्य सवालों को विवि प्रशासन ने जांच का विषय बताते हुए गुप्त रखा है.
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फंसेंगे कई अधिकारी व कर्मचारी!
भागलपुर: दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर की फर्जी डिग्री मामले में टीएमबीयू के कई अधिकारी व कर्मचारी फंस सकते हैं. उसमें एक पूर्व कुलपति, कई पूर्व परीक्षा नियंत्रक के अलावा कई कर्मचारी हो सकते हैं. यह संभावना इसलिए भी है कि दिल्ली पुलिस 15-16 सवालों की प्रश्नावली विश्वविद्यालय प्रशासन को देकर गयी […]
भागलपुर: दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर की फर्जी डिग्री मामले में टीएमबीयू के कई अधिकारी व कर्मचारी फंस सकते हैं. उसमें एक पूर्व कुलपति, कई पूर्व परीक्षा नियंत्रक के अलावा कई कर्मचारी हो सकते हैं.
पार्ट थ्री के अंक पत्र पर दूसरे परीक्षा नियंत्रक का हस्ताक्षर : तोमर के पार्ट वन व पार्ट टू के अंक पत्र पर एक ही परीक्षा नियंत्रक के हस्ताक्षर हैं. पार्ट थ्री के अंक पत्र पर किसी अन्य परीक्षा नियंत्रक का हस्ताक्षर है. जिस प्रोविजनल सर्टिफिकेट को टीएमबीयू ने अस्तित्वहीन बताया है, उस पर कुलसचिव के हस्ताक्षर हैं. मूल प्रमाणपत्र पर तत्कालीन कुलपति डॉ विमल कुमार व परीक्षा नियंत्रक के हस्ताक्षर हैं. दो दिन की जांच के दौरान दिल्ली पुलिस कई कर्मचारियों व पदाधिकारियों से पूछताछ कर चुकी है. आगे कई कर्मचारियों व पदाधिकारियों से पूछताछ हो सकती है. विश्वविद्यालय में हर दिन हर पल कुछ कर्मचारियों व पदाधिकारियों को हर पल की खबर जानने की उत्सुकता दिखती है. ऐसा नहीं है कि जिन्हें इस बात की जिज्ञासा रहती है, उन्हें डर है कि कहीं फंस न जाएं. लेकिन वे जानना चाहते हैं कि विवि के कौन फंसनेवाले हैं.
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