भय से मुहल्लेवासी कुछ भी बताने से कतरा रहे हैं. गैंगवार का रूप तो नहीं बम ब्लास्ट : सोमवार शाम को हुए बम ब्लास्ट और फायरिंग गैंगवार का रूप तो नहीं? पुलिस इस बिंदु पर भी जांच कर रही हैं. क्योंकि जख्मी माइकल डिसुआ और आरोपी अजीत मंडल के बीच पहले से दुश्मनी चल रही है. 1995 में माइकल के भाई की बेरहमी से हत्या कर दी गयी थी. इसके बाद अजय मंडल को गोली मार कर 2014 में जख्मी कर दिया था. अब माइकल पर बम से हमला किया गया.
कुल मिला कर पुराने अदावत को लेकर वारदात का सिलसिला जारी है. रंजीत की कमाई से चलता था घर: मृतक रंजीत गुप्ता भाई में बड़ा था. पिता के लाचार हो जाने के कारण रंजीत किराना दुकान में काम करता था. उसे तीन हजार रुपये मजदूरी मिलती थी. रंजीत का छोटा भाई रंजन भी कोतवाली थाना के बाहर सत्तू दुकान में काम करता है. उसे 1500 रुपये मजदूरी मिलती है. दोनों की कमाई से घर चलता है. पहले रंजीत के पिता सुखदेव गुप्ता अगरबत्ती बेचते थे. लेकिन शारीरिक रूप से कमजोर हो जाने के कारण उन्हें धंधा छोड़ना पड़ा था. रंजीत अपने माता-पिता और भाई के साथ महेशपुर कबीर मंदिर के पास किराये के मकान में रहता था. वह मूलत: गोराडीह के अगरपुर गांव का रहनेवाला था.