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अब कहिए दिनकर परिसर

भागलपुर: तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय का न्यू पीजी कैंपस अब दिनकर परिसर के नाम से जाना जायेगा. विश्वविद्यालय भी दिनकर परिसर के पते पर ही पत्रचार करेगा. ओल्ड पीजी कैंपस स्थित दिनकर भवन का जीर्णोद्धार किया जायेगा. यह घोषणा सोमवार को राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की 105वीं जयंती पर स्नातकोत्तर हिंदी विभाग में आयोजित समारोह में […]

भागलपुर: तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय का न्यू पीजी कैंपस अब दिनकर परिसर के नाम से जाना जायेगा. विश्वविद्यालय भी दिनकर परिसर के पते पर ही पत्रचार करेगा. ओल्ड पीजी कैंपस स्थित दिनकर भवन का जीर्णोद्धार किया जायेगा. यह घोषणा सोमवार को राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की 105वीं जयंती पर स्नातकोत्तर हिंदी विभाग में आयोजित समारोह में कुलपति डॉ निलांबुज किशोर वर्मा ने की.

उन्होंने कहा कि दिनकरजी ने कविता के माध्यम से राष्ट्र के प्रति चेतना जगाने का काम किया है. प्रतिकुलपति डॉ एनके सिन्हा ने कहा कि दिनकरजी की प्रमुख रचना उर्वशी रही है. इसके लिए उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाजा गया. इससे पूर्व कुलपति सहित प्रतिकुलपति डॉ एनके सिन्हा, कार्यकारी विभागाध्यक्ष प्रो नृपेंद्र प्रसाद वर्मा व शिक्षकों ने दिनकर जी की आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण किया. कार्यकारी विभागाध्यक्ष प्रो वर्मा ने विश्वविद्यालय द्वारा दिनकर जयंती में विशेष रुचि दिखाये जाने की सराहना की. उन्होंने दिनकर के विराट व्यक्तित्व की प्रशंसा की. डॉ परशुराम राय प्रेम प्रभाकर ने दिनकर के काव्य उर्वशी पर कहा कि पुरुरवा व उर्वशी के सहारे कवि ने यह सिद्ध करने का प्रयास किया है कि सौंदर्य व शक्ति में, प्रेम व कर्तव्य में विरोध नहीं है. डॉ श्रीभगवान सिंह ने का कहा कि दिनकर मूलत: साहस व संघर्ष के कवि थे. उन्होंने युगीन सच्चई को अपने काव्य का उपजीव्य बनाया. दिनकर की प्रमुख काव्य पंक्तियों की आवृत्तियां विभाग के छात्र अमर कुमार चौधरी व रोहित कुमार मिश्र ने की. समारोह का संचालन विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ श्यामदेव भगत ने किया. धन्यवाद ज्ञापन डॉ किरण सिंह ने किया. मौके पर बांग्ला के विभागाध्यक्ष डॉ एम मोहसीन, पूर्व अध्यक्ष डॉ शर्मिला बागची, टीएनबी कॉलेज के हिंदी के विभागाध्यक्ष डॉ रामचंद्र घोष, एनएसएस समन्वयक डॉ जयप्रकाश नारायण, सुनील कुमार सिंह, पीजी हिंदी विभाग के शिक्षक प्रो बहादुर मिश्र, डॉ मधुसूदन झा उपस्थित थे.

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