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स्वास्थ्य मंत्री का जिला लिंगानुपात में फिसड्डी

भागलपुर: कन्या भ्रूण हत्या रोकने के तमाम सरकारी प्रयासों के बावजूद भागलपुर जिला लिंगानुपात (सेक्स रेसियो) में लगातार पिछड़ता जा रहा है. जनगणना के ताजा आंकड़ों के अनुसार सेक्स रेसियो के मामले में भागलपुर बिहार का आखिरी जिला है. पिछले एक दशक में यहां सेक्स रेसियो के मामले में कोई खास सुधार नहीं हुए है, […]

भागलपुर: कन्या भ्रूण हत्या रोकने के तमाम सरकारी प्रयासों के बावजूद भागलपुर जिला लिंगानुपात (सेक्स रेसियो) में लगातार पिछड़ता जा रहा है. जनगणना के ताजा आंकड़ों के अनुसार सेक्स रेसियो के मामले में भागलपुर बिहार का आखिरी जिला है.

पिछले एक दशक में यहां सेक्स रेसियो के मामले में कोई खास सुधार नहीं हुए है, जबकि यह जिला स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे का गृह जिला है और वह स्थानीय विधायक भी हैं. वर्ष 2011 के जनगणना आंकड़ों के अनुसार भागलपुर का लिंगानुपात 879 है. यानी प्रति हजार पुरुष पर मात्र 879 महिलाएं ही हैं.

वर्ष 2001 में यह अनुपात 876 था. वर्ष 2001 की जनगणना के बाद लिंगानुपात में भागलपुर जिला का स्थान बिहार में 36वां था, जो कि वर्ष 2011 की जनगणना में पिछड़ कर 38वां हो गया और जिला अंतिम पायदान पर पहुंच गया है. हैरत करने वाली बात है कि बिहार के औसत लिंगानुपात में वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार तीन महिलाओं की कमी दर्ज की गयी है. 2011 की जनगणना के अनुसार बिहार का औसत लिंगानुपात 916 है.

बच्चों के लिंगानुपात में भी कमी: जिला में शून्य से छह वर्ष तक के बच्चों के बीच सेक्स रेसियो में पिछले एक दशक में गिरावट आयी है. वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार भागलपुर में बच्चों के बीच लिंगानुपात 966 था, जो कि वर्ष 2011 की जनगणना में घट कर 934 रह गया. इससे स्पष्ट होता है कि पिछले छह वर्षो में जिला का लिंगानुपात लगातार गिरता जा रहा है. यही नहीं यह स्थिति पूरे प्रदेश की है.

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