वे टास्क फोर्स के दक्षता विकास के कार्यकारी सदस्य समूह में शामिल होंगे. श्री कुमार ने बताया कि टास्क फोर्स का सदस्य होना न सिर्फ साइबरफोर्ट के लिए, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए गौरव की बात है. आनेवाले समय में साइबर क्राइम से करोड़ों लोगों को सुरक्षित करना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है. वर्तमान में 30 करोड़ लोग इंटरनेट का नियमित इस्तेमाल कर रहे हैं. वर्ष 2018 तक इंटरनेट इस्तेमाल करनेवाले लोगों की संख्या 70 करोड़ तक पहुंच जाने का अनुमान है. साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में 10 लाख एक्सपर्ट की आवश्यकता है, जो आनेवाले दिनों में 20 से 30 लाख हो जायेगा. इसे देखते हुए विद्यालय स्तर पर साइबर सुरक्षा पाठ्यक्रम को अनिवार्य करना जरूरी माना जा रहा है. टास्क फोर्स के सदस्य होने के नाते इस दिशा में नयी नीतियों के लिए कार्य कर रहे हैं.
अब तक साइबरफोर्ट द्वारा 100 से अधिक युवाओं को साइबर सुरक्षा का प्रशिक्षण दिया जा चुका है. श्री कुमार ने बताया कि नैसकॉम की 25वीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री ने एक मार्च को साइबर सुरक्षा को पूरी दुनिया की सबसे बड़ी चुनौती के रूप में देखा था. उन्होंने नैसकॉम को टास्क फोर्स का गठन करने की सलाह दी थी. इसके बाद गत 25 मई को नैसकॉम ने साइबर सिक्यूरिटी टास्क फोर्स का गठन किया. वर्तमान में इस क्षेत्र में भारत की महज एक प्रतिशत भागीदारी है. इसे 2025 के अंत तक 10 प्रतिशत लक्ष्य निर्धारित किया गया है. 10 लाख युवाओं को साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में प्रशिक्षण व 100 से अधिक साइबर सुरक्षा से संबंधित उत्पाद तैयार करनेवाली कंपनियों को आनेवाले कुछ वर्षो में तैयार करना है. टास्क फोर्स को चार अलग-अलग समूह में बांटा गया है. इसमें औद्योगिक विकास, दक्षता विकास, तकनीकी विकास व नीति विकास शामिल है.