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बियाडा बरारी की आवंटित जमीन पर असामाजिक तत्वों ने बनाया आवास, अधिकारी नहीं दिला सके कब्जा

भागलपुर: एक ओर सरकार बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकार (बियाडा) स्थापित कर छोटे उद्यमियों को उद्योग लगाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है, दूसरी ओर बियाडा में जमीन आवंटित होने के बावजूद उद्यमियों को जमीन पर कब्जा नहीं मिल पा रहा है. इसका एक उदाहरण बरारी औद्योगिक परिसर में सामने आया है. यहां री-जेनेरेटेड कॉटन […]

भागलपुर: एक ओर सरकार बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकार (बियाडा) स्थापित कर छोटे उद्यमियों को उद्योग लगाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है, दूसरी ओर बियाडा में जमीन आवंटित होने के बावजूद उद्यमियों को जमीन पर कब्जा नहीं मिल पा रहा है. इसका एक उदाहरण बरारी औद्योगिक परिसर में सामने आया है.

यहां री-जेनेरेटेड कॉटन उद्योग स्थापित करने की चाह को लेकर मारवाड़ी टोला लेन के विनोद कुमार केजरीवाल ने कर्ज लेकर बियाडा से जमीन आवंटित करायी थी. इसके लिए जमीन की कीमत का 30 प्रतिशत 48042 रुपये एवं भवन के लिए 1.75 लाख रुपये भी जमा किये. दो वर्ष तक कागजी प्रक्रिया से गुजरने के बाद अब बियाडा ने उक्त जमीन व भवन पर कब्जा दिलाने में हाथ खड़ा कर दिया है. ऐसे में उनका उद्योग लगाने का सपना तो टूटा ही, साथ ही दो वर्षो तक जमीन के आवंटन के लिए लिये गये कर्ज का ब्याज भी उन्हें भरना पड़ा.

दो वर्ष से भर रहे हैं ब्याज : श्री केजरीवाल ने बताया कि बियाडा के विकास पदाधिकारी एवं कार्यकारी निदेशक से आवंटित जमीन और भवन पर कब्जा दिलाने की मांग की थी. जमीन पर पोजिशन लेने के लिए अमीन भेजा गया, जिसे लौटना पड़ा. उद्यमी अदालत में भी शिकायत की. बियाडा के एमडी ने डीएम को पत्र लिख कर उक्त समस्या से अवगत कराया था और पुलिस बल द्वारा अतिक्रमण हटाने का अनुरोध किया था. इस संदर्भ में अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. उन्होंने बताया कि दूसरे व्यवसायी से 1.75 लाख रुपये कर्ज लिया था जिसका दो वर्षो से ब्याज चुका रहे हंैं. अब बियाडा जमीन का आवंटन रद्द कर पैसे लौटाने की बात कह रहा है. यह समस्या का समाधान नहीं है. इकाई का समाधान तो भूमि आवंटित करने से ही होगा. 20 से 25 लाख की लागत से यह उद्योग स्थापित किया जाना था. इसके लिए बैंक में लोन का भी आवेदन करते. इससे पहले ही सारा सपना बिखर गया.
बियाडा प्रबंधन की विफलता आयी सामने
बियाडा के प्रबंधन की विफलता तब सामने आयी, जब बियाडा के कार्यकारी निदेशक ने व्यवसायी श्री केजरीवाल को लिखे पत्र में स्वीकार किया है कि उनके परिसर में असामाजिक तत्व कब्जा जमा कर भूमि व भवन का आवासीय उपयोग कर रहे हैं. वे उसे नहीं हटा पा रहे हैं. ऐसे में यही कहा जा सकता है कि बियाडा का प्रबंधन पूरी तरह फेल है. यह वहां 50 से अधिक स्थापित उद्योगों के लिए भी खतरे की बात है.
खुलता रीजेनेरेटेड कॉटन उद्योग, रद्दी कपड़ों का होता सदुपयोग
पांच हजार वर्गफीट में री-जेनेरेटेड कॉटन उद्योग खोलना था. इसमें दरजी द्वारा काटे गये कपड़ों को दुरुपयोग होने से बचाया जाता. चूंकि अधिकांश दरजी शर्ट, पेंट आदि तैयार करने के दौरान बचे कपड़े को दरजी जला देते हैं. इससे प्रदूषण फैलता है. विनोद केजरीवाल ने बताया कि यदि यह उद्योग खुलता, तो 15 से अधिक लोगों को सीधे-सीधे रोजगार मिलता. इसके अलावा यह जिले के बाहर के लोगों को भी इसका लाभ मिलता. दरजी की भी आमदनी बढ़ जाती. ऐसे कपड़े का सदुपयोग होना शुरू हो जाता है.

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