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बिना मुआवजा के कैसे हटायें आशियाना

नवगछिया: नवनिर्मित बाबा बिशु राउत सेतु यानी बिजय घाट पुल बन कर तैयार हो चुका है. उद्घाटन मई में होना है. लेकिन, संपर्क पथ के लिए भू-अजर्न की समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है. संपर्क पथ के दायरे में आने वाले चार गांवों के किसान व ग्रामीण मुआवजे को लेकर अपनी मांग पर […]

नवगछिया: नवनिर्मित बाबा बिशु राउत सेतु यानी बिजय घाट पुल बन कर तैयार हो चुका है. उद्घाटन मई में होना है. लेकिन, संपर्क पथ के लिए भू-अजर्न की समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है. संपर्क पथ के दायरे में आने वाले चार गांवों के किसान व ग्रामीण मुआवजे को लेकर अपनी मांग पर अड़े हैं. किसानों का कहना है कि यदि हमलोग संपर्क पथ के लिए जमीन दे दें, तो पुल का संपर्क पथ बन जायेगा.

दूसरे जिले से पुल का जुड़ाव हो जायेगा. हमारा भी विकास होगा. हमारा इलाका भी विकास की मुख्यधारा से जुड़ जायेगा. लेकिन, इसके लिए सिर्फ हम लोग ही बलिदान क्यों दें. हमलोग अपना घर तोड़ कर कहां जायें.

विभागीय सर्वे में बात सामने आयी है कि विजय घाट पुल के संपर्क पथ में 37 कच्च मकान, 35 पक्का मकान और 97 झोपड़ियां हैं. लेकिन, वास्तव में यहां परिवारों की संख्या पांच सौ से भी अधिक है. संपर्क पथ के दायरे में चार बस्तियां हैं, जिन्हें उजाड़ना होगा.
कहते हैं किसान : प्रतापनगर कदवा के अशोक पासवान कहते हैं वह सात भाई हैं. सभी साथ रहते हैं. उनके घर के दो कमरे पक्का और चार कमरे कच्चे हैं. उन्हें यदि यहां से हटा दिया गया, तो वे लोग कहां जायेंगे. उनके परिवार में कुल 35 सदस्य हैं. इन्हें लेकर वे कहा जायेंगे. नवगछिया की ओर से पहली रुकावट उमेश राय के पक्का मकान से हैं. उमेश राय खेती करते हैं. उनका पुत्र मुकेश कुमार एक छोटी सी दुकान चलाते हैं. उमेश राय का कहना है कि बड़ी मेहनत से उन्होंने अपना आशियाना बनाया है. इसे इतनी आसानी से कैसे उजाड़ने देंगे. खुशो राय कहते हैं जब से पुल बनना शुरू हुआ, तब से उन लोगों को मुआवजे के आश्वासन का झुनझुना दिखा कर घर हटा लेने को कहा जा रहा है. पवनी देवी कही है उसके परिवार में सदस्यों की संख्या 20 से भी अधिक है. साहब लोग उनलोगों की तकलीफ नहीं देखते. सिर्फ घर हटा लेने का फरमान जारी करते हैं. अजरुन मिस्त्री कहते हैं वह दिहाड़ी कर घर चलाते हैं. उन पर घर हटा लेने का दबाव बनाया जा रहा है. शंभु राय कहते हैं दो दिन पहले प्रशासनिक पदाधिकारी घर तोड़ने चले आये. गांव के लोगों ने विरोध किया, तो उनके आशियाने बचे. मुक्ति साह बोरवा टोला कदवा में मध्य विद्यालय के पास एक छोटी सी किराना दुकान चलाते हैं. उनके जीने का सहारा दुकान ही है. सड़क बनने पर उनकी दुकान टूट जायेगी. अजरुन साह कहते हैं वह भी चाहते हैं कि पुल बने, लेकर सिर्फ हमलोगों की जिंदगी को तबाह करके नहीं. मुक्ति साह और गोपाल राय ने कहा कि जब तक मुआवजा नहीं मिलेगा, वे लोग नहीं हटेंगे. पैसे का इंतजाम हो जायेगा, तो वे लोग प्रस्तावित रास्ते से खुद हट जायेंगे.
कहते हैं पदाधिकारी
जिला भू-अजर्न पदाधिकारी राजीव रंजन ने कहा कि विभागीय कार्य प्रक्रिया में है. कुछ समय लगेगा लेकिन जल्द ही आवासीय जमीन का भी अधिग्रहण कर लिया जायेगा.
भागलपुर जिले में डेढ़ किलोमीटर तक बाधा
नवनिर्मित बाबा बिशु राउत पुल के संपर्क पथ की लंबाई 8.3 किलोमीटर है. इसमें 3.15 किलोमीटर मधेपुरा जिले में और 5.15 भागलपुर जिला अंतर्गत आता है. मधेपुरा जिले में एक किलोमीटर क्षेत्र में कहीं-कहीं बाधा रह गयी हैं. लेकिन, भागलपुर जिला में डेढ़ किलोमीटर क्षेत्र में चार बस्तियां बसी हुई हैं.
दशकों से आबाद हैं बस्तियां
संपर्क पथ के दायरे में प्रतापनगर कदवा टोला, बोरवा टोला, गोला टोला और पचगछिया आते हैं. दशकों से ये बस्तियां आबाद हैं.

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