महाजनों का कर्ज, बिटिया की शादी की चिंता, बच्चों की पढ़ाई और यहां तक की घर में दो वक्त की रोटी के जुगाड़ की चिंता ने उन्हें आत्मदाह जैसा भयावह कदम उठाने को मजबूर कर दिया था. सवा 12 बजे अचानक आत्मदाह करने वाले किसान अपने ऊपर केरोसिन उड़ेल कर खुद को आग के हवाले करने का प्रयास करने लगे.
मौके पर तैनात पुलिसकर्मियों ने उनके हाथ से माचिस छीन ली. इतने में कुछ किसानों ने फसल के बोझा में आग सुलगा दी. पुलिस प्रशासन के हाथ-पांव फूलने लगे. कभी कोई पुलिसकर्मी केरोसिन उड़ेलने वाले किसानों की ओर भागता, तो कभी आग को बुझाने का प्रयास करता. यह स्थिति लगभग चार घंटे तक रही. इससे पहले रन्नुचक के बैंक के सामने सुबह 11 बजे किसानों का जुटना शुरू हो गया था. 12 बजे तक यहां पर सौ से अधिक किसान जुट गये. बैंक अधिकारी एवं प्रशासनिक पदाधिकारी के विरोध में आक्रोश व्यक्त करने लगे. बस इंतजार था तो आत्मदाह करने वाले किसानों के आने का. उनको यह भी आशंका हो रही थी कि कहीं पुलिस ने कहीं आत्मदाह करने से पहले किसी को अपने हिरासत में तो नहीं ले लिया. 12 बजे आत्मदाह का प्रयास करनेवाले किसान वहां पहुंचे.
इन किसानों ने कहा कि हम्मै सिनी त पहले से मरी गेइलो छियै, आबे बची क की करबै और केरोसिन का डिब्बा अपने ऊपर उड़ेलने लगे. इनमें महिलाएं भी शामिल थी. तभी मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने किसानों को आग लगाने से रोक लिया. थोड़ी देर तक माहौल शांत होता, फिर किसानों के बीच गुफ्तगू होती और अचानक किसान उत्तेजित होकर आत्मादाह करने की बात करने लगते. कभी कोई अपने सिर पर फसल का बोझा रख कर आग लगा लेता, तो कभी कोई आग लगे बोझा में कूदने का प्रयास करता. ग्रामीणों व स्थानीय प्रशासनिक पदाधिकारियों के आग्रह पर किसान माने और मुआवजा की मांग करते हुए अपनी अपने आंदोलन को समाप्त किया.