भागलपुर: भगवान न करे वीआइपी के काफिले में किसी तरह का हादसा हो. पर अगर ऐसा कुछ भी हो जाये तो उनकी सुविधा में चल रहे एंबुलेंस व चिकित्सक उनकी जान बचाने में शायद ही सफल हो पायें. क्योंकि एंबुलेंस जैसे-तैसे चल रहा है. इसके रख-रखाव व दवाओं की मौजूदा स्थिति देखने पर किसी भी अधिकारियों ने गंभीरता नहीं दिखायी है. तभी तो एंबुलेंस में मौजूद उपकरण, दवा, ऑक्सीजन सहित अन्य सुविधाओं की जांच नहीं होती है. किसी वीआइपी के आने पर एक तरह से खानापूर्ति करने के लिए एंबुलेंस को भेज दिया जाता है. ऐसे में वीआइपी की जान बचाने के नाम पर खिलवाड़ किया जा रहा है ऐसा कहना बेमानी नहीं होगी.
एंबुलेंस का सच
रविवार को स्वास्थ्य सह आपदा प्रबंधन विभाग एवं जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव के आने की सूचना पर हवाई अड्डा पर सदर अस्पताल से एक एंबुलेंस व एक चिकित्सक की ड्यूटी लगायी गयी थी. जब प्रभात खबर संवाददाता ने एंबुलेंस की पड़ताल की तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आये. एंबुलेंस में एक चिकित्सक के अलावा न तो पारा मेडिकल स्टाफ थे न ही अन्य सहयोगी. इमरजेंसी कीट में महीनों पूर्व स्टरलाइज किया हुआ उपकरण व कॉटन मौजूद था. जबकि यह मात्र तीन दिनों तक बिना ढ़क्कन खुले इस्तेमाल हो सकता है. एक बार ढ़क्कन खुलने पर स्टरलाइजेशन प्रक्रिया समाप्त होने लगती है.
इमरजेंसी कीट में डेरीफाइलिन, डेक्सोना इंजेक्शन तो मौजूद था पर ऑक्सीजन सिलेंडर में मात्र दो पोंड ही गैस बची हुई थी. जबकि यह 140 से 160 तक रहता है. दवा के कार्टून में आउटडोर में बांटने वाली दवा मौजूद थी जिसमें कफ सीरप, बी कॉम्पलेक्स, पेट खराब की दवा, कंडोम सहित अन्य दवाइयां मौजूद थी.