इस लेट लतीफी की वजह से उक्त मामले के बाल कैदी अभी भी कैंप जेल में रह रहे हैं. याद रहे कि बाल कैदी के मामले में हाइकोर्ट के निर्देश पर पिछले दिनों बाल कल्याण विभाग ने पत्र जारी किया था. इसमें कहा गया है कि बाल कैदी की सुनवाई घर के माहौल की तर्ज पर किया जाय. जिससे उन्हें यह एहसास नहीं हो कि वह कोर्ट में पेशी के लिए जा रहे हैं. पत्र में बाल कैदी के ट्रायल के दौरान वहां का माहौल भी घरेलू रखा जाय. इसी वजह से बाल कैदी का ट्रायल कोर्ट के बजाय आब्जर्वेशन होम में चलाने की बात पर जोर दिया गया था.
इस ट्रायल में जूवेनाइल बोर्ड के सदस्यों को सामान्य तौर पर टेबल-कुरसी लगा कर बाल कैदी का परीक्षण करने की बात कही गयी थी. बाल कल्याण विभाग के निर्देश पर जिले में आब्जर्वेशन होम की सुविधा तो मुहैया है, जहां करीब 50 बाल कैदी रखने की क्षमता है. मगर इस आब्जर्वेशन होम में जुवेनाइल केस के गंभीर अपराध वाले विचाराधीन बाल कैदी को नहीं रखा जा रहा है. उन्हें कैंप जेल में अलग से रखा जा रहा है.