* एनडीआरएफ का चार घंटे तक चला ऑपरेशन
भागलपुर : आइजी कार्यालय में कार्यरत स्वीपर रंजीत हरि के 14 वर्षीय पुत्र विशाल का शव 22 घंटे बाद गंगा नदी से निकाल लिया गया है. विशाल के शव को निकालने में एनडीआरएफ की 32 सदस्यों की टीम को चार घंटे लगे. विशाल राजकीय मध्य विद्यालय के कक्षा सात का छात्र था. पुलिस ने यूडी केस दर्ज कर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. शव के बरामद होते ही परिजनों के क्रंदन से खिरनी घाट, पुलिस लाइन पानी टंकी के लोग गमगीन हो गये.
* गंगा नदी में दबा था शव : गंगा नदी में शाम करीब पांच बजे से आठ बजे तक एनडीआरएफ की टीम ने विशाल के शव को ढ़ूंढ़ने की कोशिश की, लेकिन शव बरामद नहीं हुआ. सुबह सात बजे 32 सदस्यों के दल ने गंगा नदी में एक बार फिर शव ढूढना किया. राम मंदिर के नीचे गंगा नदी में दबा था छात्र का शव. उसे एनडीआरएफ की टीम ने बाहर निकाला.
* डर से भाग गये थे छात्र के मित्र : विशाल के मौसेरा भाई आकाश ने बताया कि पुलिस लाइन के पास रहने वाले शंकर का पुत्र रौशन, शिवम व सुधीर से विशाल की मित्रता थी. रौशन, शिवम व सुधीर प्रतिदिन गंगा स्नान करने जाता था. शनिवार को लालूचक स्थित सरस्वती ज्ञान भंडार से ट्यूशन पढ़ कर लौटने के बाद विशाल घर आया.
भोजन के उपरांत वह उक्त लड़कों के साथ पहली बार गंगा स्नान करने गया. जहां उसकी मौत हो गयी. इस घटना को देख तीनों लड़कों ने उसके कपड़े व चप्पल को छुपा दिया. वे डर गये थे कि अगर इसकी जानकारी परिजनों को मिलेगी तो पिटाई तय है. इधर, इशाकचक स्थित मोहल्ले के लोगों ने बताया कि विशाल की मौत के बाद उसके मित्र घर छोड़ कर भाग जाना चाहते थे.
* बुधन ने दी थी सूचना
परिजनों ने बताया कि स्थानीय युवक बुधन प्रतिदिन गंगा नदी में मछली मारने जाता था. उसने इस घटना की जानकारी दी. अगर बुधन नहीं बताता तो विशाल का शव भी नहीं मिलता. इधर, बुधन ने बताया कि जब चारों लड़के गंगा नदी में स्नान करने गये तो उनसे बात–चीत हुई. इस बीच युवकों के बीच यह चर्चा होने लगी कि विशाल डूब गया है. उन्हें गंगा स्नान करने गये अन्य लोगों ने पकड़ा और विशाल के परिजनों का पता पूछा.
बुधन ने बताया कि स्थानीय लोगों को जब पता चला कि वह परिजनों को जानता है तो उसे परिजनों को सूचना देने को कहा गया. सीओ जगदीशपुर नवीन भूषण सिन्हा व बरारी के थानाध्यक्ष अमर कुमार ने शनिवार के दिन के करीब दस बजे से शव को निकालने के लिए स्थानीय गोताखोरों की मदद ली थी. नाव, जहाज व स्थानीय गोताखोरों की मदद से भी जब शव बरामद नहीं हुआ तो प्रशासन ने एनडीआरएफ की मदद ली.