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कश्‍मीरी शाल विक्रेता के भड़कावे पर भागलपुरी युवक चला ISIS की राह, लौट कर बयां किया पाकिस्‍तानी आतंक का खौफनाक सच

भागलपुर : शॉल बेचने आये कश्मीरी युवक मो मुन्ना के उकसावे पर आइएसआइ सदस्य की राह पर चलनेवाले मो सरफ का इकबालिया बयान फिल्मी कहानी से कम नहीं है. पुलिस को दिये बयान में मो सरफ ने पाक के नापाक मंसूबों का खुलासा किया था. मो सरफ ने बताया था कि किस तरह वह और […]

भागलपुर : शॉल बेचने आये कश्मीरी युवक मो मुन्ना के उकसावे पर आइएसआइ सदस्य की राह पर चलनेवाले मो सरफ का इकबालिया बयान फिल्मी कहानी से कम नहीं है. पुलिस को दिये बयान में मो सरफ ने पाक के नापाक मंसूबों का खुलासा किया था. मो सरफ ने बताया था कि किस तरह वह और उसके साथी एजेंट व शॉल विक्रेता मो मुन्ना के कहने पर आइएसआइ संगठन में शामिल होने के लिए तैयार हो गये.
यहां तक की वे विस्फोट की ट्रेनिंग लेने के लिए पाकिस्तान भी गये. उन्हें पाकिस्तान पहुंचने के लिए आसानी से पासपोर्ट व पैसे दोनों मिल गये. साथ ही उन लोगों ने चोरी-छिपे भारत-बांग्लादेश बॉर्डर को भी पार कर लिया.दरअसल जिला व सत्र न्यायाधीश व विशेष टाडा मामलों के न्यायाधीश अरविंद माधव की कोर्ट में मो सरफ व अन्य के खिलाफ टाडा एक्ट के तहत केस चल रहा है.
इसमें गुरुवार को अभियोजन पक्ष की बहस पूरी हो गयी. पुलिस के सामने 3 मई 1994 को दिये बयान में मो सरफ ने बताया था कि जनवरी 1993 में मुसलिम हाई स्कूल में सामान्य मीटिंग के दौरान शॉल विक्रेता कश्मीरी युवक मो मुन्ना से मुलाकात हुई थी. उसके बहकावे पर वह व अन्य चार लड़के आइएसआइ संगठन में शामिल होने के लिए तैयार हुए. मो मुन्ना ने कश्मीर की तरह आइएसआइ की मदद सभी जगह करने का दावा किया. इसके लिए संगठन में अधिक से अधिक युवकों को शामिल करने को कहा. उसने आइएसआइ के घिनौने इरादे का भी इजहार मीटिंग में किया था. युवकों को पाकिस्तान में आइएसआइ ट्रेनिंग कैंप में भाग लेने के लिए आसानी से पासपोर्ट देने में मदद करने की बात कही.
मो नईम व मो दाउद ने बनाया पासपोर्ट. भागलपुर के मो सरफ सहित अन्य युवकों को मो नईम व मो दाउद ने पासपोर्ट बनाने में मदद की. इसके लिए सभी युवकों को कोलकाता में सिटी लॉज में भी ठहराया गया. पासपोर्ट बनने के बाद वह पांच मई 1993 को ढाका पहुंचा. वहां से अगले दिन छह मई की दोपहर ढाका से थाई एयरवेज से बैंकाक गये. वहां पर कोहिनूर होटल में सभी युवकों को ठहराया गया. इसके बाद वहां पर उनके पासपोर्ट को लेकर उस पर पाकिस्तान जाने के वीजा पर मुहर लगा दी गयी. इस तरह बैंकाक से उन्हें सीधी फ्लाइट से नौ मई को कराची पहुंचा दिया गया.
रात के समय खास ड्रेस में ट्रेनिंग स्थल पर पहुंचे युवक
कराची से घरेलू फ्लाइट से युवकों को इस्लामाबाद भेजा गया. जहां पर सभी को खास ड्रेस दिया गया. इस तरह खान ड्रेस की वेशभूषा में रात पौने 9 बजे उन्हें एक ट्रक में बैठा दिया गया. खास बात यह थी कि इस ट्रक को चारों तरफ से बंद कर दिया गया था, ताकि अंदर बैठे युवकों को रूट का अंदाजा नहीं लग पाये. रात दो बजे सभी युवक पहाड़ों के बीच एक ट्रेनिंग बेस कैंप में पहुंचे. जहां भागलपुर से गये युवक आइएसआइ की चल रही ट्रेनिंग फैक्टरी को देख दंग रह गये.
– शॉल बेचने आये कश्मीरी युवक के उकसावे पर चला आइएसआइ की राह
– बांग्लादेश बॉर्डर पार कर बैंकाक होते हुए युवकों को पहुंचाया गया पाकिस्तान
– आतंक की फैक्टरी चला रहे पाकिस्तानी मंसूबे का खौफनाक सच
निश्चित तौर पर मो सरफ का इकबालिया बयान पाकिस्तान में चलने वाली आइएसआइ की ट्रेनिंग का खुलासा करता है, यह खुलासा अपने आप में रोंगटे खड़े कर देने वाला है. आज से 22 वर्ष पूर्व आइएसआइ द्वारा भारत में आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के लिए भागलपुर के युवकों को बहकाया गया था.
सत्यनारायण शाह,
लोक अभियोजक, भागलपुर व्यवहार न्यायालय

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