यह हाल टैंक लेन भीखनपुर स्थित सरकारी मदरसा व इसके पड़ोस में स्थित भीखनपुर जामा मसजिद में स्थित मदरसा का है. इसके अलावा बरहपुरा में चंदा पर चल रहे कमालिया मदरसा में भी बच्चों की संख्या लगभग एक सौ है. सरकारी मदरसा में दो-चार बच्चे दिख जायें, तो गनीमत है.
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निजी में किलकारी, सरकारी मदरसा वीरान
भागलपुर: मसजिद में किलकारियां व सरकारी मदरसा में वीरानगी सुनने में कुछ अजीब लगेगा. लेकिन हकीकत यही है. जिस मदरसे पर हर महीने राज्य सरकार लगभग ढाई लाख रुपये खर्च करती है, वहां बच्चे ढूंढ़े नहीं मिल रहे. जबकि उसी मदरसे के पड़ोस में चंदा के जरिये मसजिद में चलनेवाले मदरसा में बच्चों की भीड़ […]
भागलपुर: मसजिद में किलकारियां व सरकारी मदरसा में वीरानगी सुनने में कुछ अजीब लगेगा. लेकिन हकीकत यही है. जिस मदरसे पर हर महीने राज्य सरकार लगभग ढाई लाख रुपये खर्च करती है, वहां बच्चे ढूंढ़े नहीं मिल रहे. जबकि उसी मदरसे के पड़ोस में चंदा के जरिये मसजिद में चलनेवाले मदरसा में बच्चों की भीड़ उमड़ती है.
क्या है कारण
स्थानीय मो इमरान, मो फैजी आलम, मो गुलाब व मो प्यारे ने बताया कि सरकारी मदरसा एक महीने में पांच से दस दिन ही खुला रहता है. मदरसा खोलने की कोई समय सीमा भी नहीं है. कभी सुबह आठ बजे खुल जाता है, तो कभी दिन के 11 बजे. इस कारण बच्चे यहां नहीं पढ़ना चाहते हैं. वहीं बगल में चंदा पर चलनेवाले भीखनपुर मसजिद मदरसा व बरहपुरा का कमालिया मदरसा रोजाना व समय पर संचालित होता है. इस कारण अभिभावक अपने बच्चों को इन्हीं मदरसों में पढ़ाना चाहते हैं. लोगों ने बताया कि कई बार सरकारी मदरसा के प्राचार्य से बात कर मदरसा नियमित खोलने के लिए कहा, लेकिन इसको लेकर कोई पहल नहीं हुई.
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