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मंजूषा की अंतरराष्ट्रीय पहचान में चक्रवर्ती देवी की अहम भूमिका

-संवाददाता, भागलपुरनाथनगर के बाबा मनसकामना नाथ मंदिर प्रांगण में परंपरागत मंजूषा कलाकार चितेरी स्व चक्रवर्ती देवी की छठी पुण्यतिथि मनायी गयी. संस्था साहित्य सफर की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता बिहार लोक अकादमी के समालोचक डॉ ज्योतिष चंद्र शर्मा ने किया. मुख्य अतिथि ललित कला कॉलेज,पटना के पूर्व उप प्राचार्य उमाकांत झा ने […]

-संवाददाता, भागलपुरनाथनगर के बाबा मनसकामना नाथ मंदिर प्रांगण में परंपरागत मंजूषा कलाकार चितेरी स्व चक्रवर्ती देवी की छठी पुण्यतिथि मनायी गयी. संस्था साहित्य सफर की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता बिहार लोक अकादमी के समालोचक डॉ ज्योतिष चंद्र शर्मा ने किया. मुख्य अतिथि ललित कला कॉलेज,पटना के पूर्व उप प्राचार्य उमाकांत झा ने चक्रवर्ती देवी के तैलीय चित्र पर माल्यार्पण किया. संस्थापक जगतराम साह कर्णपुरी ने मंजूषा कला को बाला-बिहुला-विषहरी की लोक गाथा से जोड़ते हुए चक्रवर्ती देवी के योगदान की चर्चा की. चक्रवर्ती देवी के परिवार से जुड़े राजेंद्र मालाकार ने इस कला को बढ़ावा देने के लिए चंपानगर के लोगों से आगे आने की अपील की. उमाकांत झा ने न केवल अंग क्षेत्र, बल्कि बिहार व अन्य राज्यों में भी मंजुषा के प्रचार-प्रसार में चक्रवर्ती देवी की भूमिका बतायी. डॉ ज्योतिष चंद्र ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सेमिनार के जरिये कला का महत्व बढ़ाने में चक्रवर्ती देवी की भूमिका का महत्व बताया. मंजुषा चित्रकार केशव प्रसाद, संतोष ठाकुर, ओमप्रकाश साह, विनोद पंडित, नरेश ठाकुर, रीना देवी आदि ने भी अपने विचार रखे. कार्यक्रम का संचालन जगतराम कर्णपुरी ने जबकि धन्यवाद ज्ञापन विनोद पंडित ने किया. मौके पर प्रकाश तांती, टिंकू चौधरी, लक्ष्मी तांती, सागर दिनकर, शुभम भास्कर आदि मौजूद थे.

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