* टीएमबीयू के स्थापना दिवस समारोह में बोले अतिथि
* स्थापना दिवस पर कभी खट्टी, तो कभी मीठी बातें हुईं, पर सबने माना सिस्टम सुधारना होगा
भागलपुर : तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस पर विश्वविद्यालय के गौरवशाली इतिहास को लौटाने पर बहुद्देशीय प्रशाल में परिचर्चा का आयोजन किया गया. वक्ताओं में सांसद, एमएलसी, कुलपति, प्रतिकुलपति के साथ–साथ डीन, कॉलेज के प्राचार्य, शिक्षक व छात्र थे. हर कोई विश्वविद्यालय के अतीत को याद कर वर्तमान में नैतिक मूल्यों में आयी गिरावट का कारण ढूंढ़ने का प्रयास किया और स्वर्णिम भविष्य गढ़ने का संकल्प लिया.
* जेपीसी की तरह बने कमेटी : सांसद सैयद शाहनवाज हुसैन ने कहा कि जब से वे सांसद बने हैं, विश्वविद्यालय की राजनीति में दखल नहीं देते. उन्हें यहां बहुत सारी कमियां दिखती हैं. उन्होंने कहा कि छात्रों की बातें नहीं सुनी जाती है, इसलिए वे आक्रोशित होते हैं. सांसद ने कुलपति को सुझाव दिया कि छात्रों के आरोप की जांच के लिए ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (जेपीसी) की तरह समिति का गठन कराया जाये.
* नहीं कह सकते कि विकास नहीं हुआ : कुलपति डॉ एनके वर्मा ने कहा कि लेन–देन के जो आरोप लगते हैं और विश्वविद्यालय में जो गिरावट आयी है, उसके लिए हम सब जिम्मेदार हैं. शिक्षकों व कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं हो रही. 40 वर्ष पहले जहां वीरानी थी, आज वहां कई विभाग खुल चुके हैं और भवन बन चुके हैं. ऐसे में यह कैसे कह सकते हैं कि विकास नहीं हुआ है.
* अगले सत्र में नहीं होगी असुविधा : प्रतिकुलपति डॉ एनके सिन्हा ने कहा कि अभी भी अन्य विश्वविद्यालयों की तुलना में यहां शिक्षा का स्तर ठीक है. पेंडिंग रिजल्ट हमें विरासत में मिला है. इसे दुरुस्त किया जा रहा है. लेकिन अगले सत्र में छात्रों को असुविधा न हो, इसके लिए लगातार प्रयास जारी है.
* सरस्वती पुत्र बनें : पूर्व सांसद व पीजी गांधी विचार विभाग के संस्थापक सदस्य डॉ रामजी सिंह ने कहा कि जिस विश्वविद्यालय को स्वतंत्रता नहीं, वह विश्वविद्यालय नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि जूलॉजी के प्रोफेसर दत्ता मुंशीजी कहा करते थे कि वे लेबोरेट्री नहीं जायेंगे, तो बीमार पड़ जायेंगे. ऐसे में इस बात पर मंथन करने की जरूरत है कि द्रोणाचार्य को एकलव्य ने अंगूठा दिया था और आज शिक्षकों को उनके शिष्य अंगूठा क्यों दिखाते हैं. शोधार्थी से 25 हजार, 50 हजार लेने की बात सुनी जाती है.
* 1976 के बाद आयी गिरावट : सामाजिक विज्ञान के डीन डॉ उमेश प्रसाद सिंह ने कहा कि वे इस विश्वविद्यालय को 1965 से अब तक पहले छात्र व बाद में शिक्षक के रूप में देखते आ रहे हैं. वर्ष 1976 तक इसका स्वर्णिम काल रहा. इस दौरान यहां के अनेक छात्र आएएस, आइपीएस अधिकारी हुए, राजनेता हुए. इसके बाद बिहार विश्वविद्यालय अधिनियम 1976 लागू हुआ. इसके बाद का काल नैतिकता के पतन का बन गया.
* ईमानदारी से हो काम : सिंडिकेट सदस्य प्रो सुरेंद्र अनल ने कहा कि विश्वविद्यालय स्थापित करने का मकसद पूरा नहीं हो पा रहा है. जिन्हें जिम्मेवारी सौंपी गयी है, वे ईमानदारी से निर्वाह नहीं कर रहे. आवश्यकता के अनुरूप विश्वविद्यालय खरा नहीं उतर पा रहा.
* रसातल में पहुंचा दिया विवि को : एसएसवी कॉलेज कहलगांव के प्राचार्य डॉ आरपीसी वर्मा ने कहा कि पूर्व के कुलपतियों ने विश्वविद्यालय को रसातल में पहुंचा दिया. जहां रुपये देकर काम हो, वहां गिरावट आयेगी ही. उन्होंने कहा कि यह गंदगी ऊपर से बह रही है. कुलाधिपति की नीयत ठीक होने की जरूरत है.
* कई विषय के शिक्षक नहीं : प्रो अर्जुन प्रसाद ने कहा कि अनेक समस्याएं हैं. कई विषयों के शिक्षक नहीं हैं. कुलपति के निर्देश का एक –एक माह तक पालन नहीं होता. एक करोड़ देकर कुलपति नियुक्त होते हैं. यह तो सौभाग्य की बात है कि वर्तमान कुलपति डॉ वर्मा का नाम बगैर पैसे दिये आ गया.
* सुधार की है उम्मीद : डीएसडब्ल्यू डॉ गुरुदेव पोद्दार ने अतिथियों का स्वागत किया और विवि के इतिहास पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि बीच में कई तरह की परेशानी आयी, पर हम मूकदर्शक बने रहे. सरकार व कुलाधिपति के बीच जिच हुआ, जिसका असर विश्वविद्यालय पर भी पड़ा. तमाम समस्या का जड़ परीक्षा विभाग है. फिर भी उम्मीद है कि कुलपति व प्रतिकुलपति के नेतृत्व में निदान होगा.
* बच्चों से कोई गिला–शिकवा नहीं : परीक्षा नियंत्रक डॉ मधुसूदन झा ने कहा कि वे जब तक अपने पद पर हैं, तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में जुल्म नहीं होने देंगे. उन्हें अपने पद का लोभ नहीं है. गुरुवार को खुद पर लगे एक छात्र को पीटने के आरोप पर कहा कि जो भी यहां पढ़ रहे हैं, वे उनके छात्र हैं. उनसे उनका कोई गिला–शिकवा नहीं होता. लेकिन वे जिस पद पर हैं, वहां छात्रों को डांटना पड़ता है.
* एकजुटता का है अभाव : बिहार विश्वविद्यालय–महाविद्यालय कर्मचारी महासंघ के प्रक्षेत्रीय अध्यक्ष सह मंच संचालक अमरेंद्र कुमार झा ने कहा कि एकजुटता का अभाव के चलते हम संक्रमण काल को झेल रहे हैं.
* एकरूपता का अभाव : बिहार विश्वविद्यालय–महाविद्यालय कर्मचारी महासंघ के प्रक्षेत्रीय मंत्री व सीनेट सदस्य सुशील मंडल ने कहा कि शिक्षकों को एरियर का भुगतान किया जाता है, कर्मियों को नहीं. जब एकरूपता नहीं लायी जायेगी, तो टूट होना स्वाभाविक है.
रिटायर कर्मियों के प्रति सहानुभूति जरूरी : विवि कर्मचारी संघ के अध्यक्ष डॉ मथुरा दुबे ने कहा कि सेवानिवृत्त कर्मियों के प्रति सहानुभूति रखने की जरूरत है.
* छात्रों का समझें दर्द : छात्र रोशन सिंह ने कहा कि छात्रों की समस्याओं के निदान के लिए साप्ताहिक छात्र अदालत व मासिक छात्र दरबार आयोजित हो. कुलपति छात्रों का दर्द समझें.
* विवि में आयी गिरावट के लिए हम सब हैं जिम्मेदार : कुलपति
* छात्रों की बात सुनी नहीं जाती, इसलिए होता है विरोध : सांसद
* विरासत में मिला है पेंडिंग रिजल्ट, फिर भी अगला
* सत्र बेहतर होगा : प्रतिकुलपति
* छात्र संघ चुनाव करायें व मासिक दरबार लगायें, रुक जायेंगे आंदोलन : डॉ संजीव
* परीक्षा विभाग में सुधार के लिए सबका सहयोग जरूरी : डीएसडब्ल्यू
* समाज की आवश्यकता पर खरा नहीं उतर पा रहा विवि : डॉ अनल
* ऊपरी की गंदगी दूर होने के बाद ही हो सकता है सुधार : डॉ वर्मा
* वर्तमान कुलपति खींचें बड़ी लकीर, तभी याद रखे जायेंगे : प्रो अर्जुन
* पूर्व के तीन कुलपतियों ने विवि को रसातल में पहुंचाया : डॉ मधुसूदन
* मंथन करें, द्रोणाचार्य को एकलव्य ने अंगूठा क्यों दिया था : डॉ रामजी
* नियमित हो सिंडिकेट की बैठक
एमएलसी व सिंडिकेट सदस्य डॉ संजीव कुमार सिंह ने कहा कि यहां की स्थिति बहुत ही खराब है. पैसे लेने के संकेत मिलते रहते हैं. दो–तीन लाख लेकर काम करने की चर्चा हो रही है, तो कुछ न कुछ बात जरूर है. पूर्व में कुलाधिपति पर भी रुपये लेने के आरोप लगे हैं. छात्रों की परीक्षा से संबंधित मांगें जायज हैं. महीने में एक बार दरबार लगे, उसमें सारे अधिकारी मिल कर छात्रों की समस्या का निदान करे. छात्र संघ चुनाव हो, तो आंदोलन रुक जायेंगे. उन्होंने आरोप लगाया कि सिंडिकेट के अनुमोदित कागजातों के साथ छेड़छाड़ होती है. नियमित शिक्षकों की बैठक हो, तो कुलपति के सिर का बोझ भी हल्का हो जायेगा. उन्होंने तिलकामांझी की ऊंची प्रतिमा स्थापित करने की मांग की.