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नौ माह तक कागजों पर निर्देश, मरीज रहे बेदम

– रोगियों के कल्याण की राशि फाइलों में, नहीं पहुंची सदर अस्पताल- पूरे वर्ष दवा समेत बुनियादी सुविधाओं से जूझते रहे यहां के मरीज वरीय संवाददाता, भागलपुरसदर अस्पताल में सरकारी निर्देश कैसे कागजों तक ही सीमित रहते हैं, इसका जीता-जागता उदाहरण है रोगी कल्याण समिति की राशि का अस्पताल की जरूरतों को पूरा करने पर […]

– रोगियों के कल्याण की राशि फाइलों में, नहीं पहुंची सदर अस्पताल- पूरे वर्ष दवा समेत बुनियादी सुविधाओं से जूझते रहे यहां के मरीज वरीय संवाददाता, भागलपुरसदर अस्पताल में सरकारी निर्देश कैसे कागजों तक ही सीमित रहते हैं, इसका जीता-जागता उदाहरण है रोगी कल्याण समिति की राशि का अस्पताल की जरूरतों को पूरा करने पर खर्च नहीं होना. रोगी कल्याण समिति (आरकेएस) की बैठक में सिविल सर्जन से लेकर मेयर तक ने कहा था कि अगर फंड नहीं है तो आरकेएस फंड का उपयोग दवा समेत अन्य जरूरी चीजों की आपूर्ति के लिए करें. लेकिन एक वर्ष बीतने के बाद भी रोगी कल्याण समिति का पैसा अस्पताल प्रबंधन को नहीं मिल सका है. नतीजतन अस्पताल आने वाले मरीज दवा, पानी समेत अन्य जरूरी सुविधाओं के लिए बाहर की दुकानों पर ही आश्रित रहते हैं. इस वर्ष करीब दस लाख रुपये रोगी कल्याण समिति में राज्य सरकार की ओर से दिये गये हैं, पर अब तक यह राशि विभाग को नहीं मिली है. पैसा नहीं मिलने के कारण अधिकारियों का निर्देश फाइलों में सिमट कर रह जाता है. बताया जाता है कि प्रबंधन के पास पैसे की कमी नहीं है, पर उसे खर्च करने का आदेश नहीं था. इस वजह से दवाओं के मद में प्रबंधन खर्च करने से डरती रही और मरीज परेशान होते रहे. इस संबंध में प्रभारी डॉ संजय कुमार का कहना है कि अभी मुझे जानकारी नहीं है कि कितनी राशि खर्च करने के लिए दिये गये हैं. इस संबंध में लेखापाल से बात करने के बाद बतायेंगे. ………..पूर्व में ऐसे मिलती थी आरकेएस की राशिप्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र – 75 हजार रुपयेरेफरल अस्पताल – एक लाख रुपयेअनुमंडलीय अस्पताल – एक लाखसदर अस्पताल – पांच लाख

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