भागलपुर: विशेष केंद्रीय कारा (कैंप जेल) में मंगलवार की सुबह साथी कैदी के हमले से जख्मी सजायाफ्ता कैदी लतीफ मियां (50) की मौत हो गयी. उसे जेएलएनएमसीएच से बेहतर इलाज के लिए पीएमसीएच रेफर किया गया था, जहां बुधवार सुबह इलाज के दौरान लतीफ ने दम तोड़ दिया. हत्या के मामले में लतीफ कैंप जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था. वह मूलत: बांका जिले के बौंसी थाना क्षेत्र के डहुआ गांव का रहनेवाला था.
वारदात से जेल के भीतर की सुरक्षा पर सवाल उठने लगा है. जेल प्रशासन ने आनन-फानन में तिलकामांझी थाने में बुधवार शाम को मामले की प्राथमिकी दर्ज करायी है.
वार्ड नंबर-15 के बाहर घटी घटना
जेल सूत्रों ने बताया कि घटना कैंप जेल के वार्ड नंबर-15 के पास घटी है. मंगलवार सुबह सभी कैदी वार्ड से बाहर थे. इस दौरान हत्या के मामले में आजीवन सजा काट रहे कैदी जंग बहादुर सिंह (पतरावल, विक्रमगंज, रोहतास) ने अपने गमछा में ईंट और पत्थर का टुकड़ा बांध कर लतीफ पर अचानक हमला बोल दिया. गमछा से बनाये हथियार से लतीफ के सिर पर पीछे की ओर वार करने से लतीफ बेहोश होकर गिर पड़ा. आनन-फानन में जेलर ने लतीफ को एंबुलेंस से इलाज के लिए जेएलएनएमसीएच में भरती कराया. लेकिन उसकी हालत नाजुक देख उसे तुरंत पटना रेफर कर दिया गया. पटना में कुछ घंटे के बाद बुधवार सुबह लतीफ की मौत हो गयी. पटना में ही पोस्टमार्टम करा कर शव को परिजनों को सौंप दिया गया.
एक साल बाद खत्म होने वाली थी सजा
देर रात लतीफ के भाई निजाम, भतीजा अबुल बशर, डहुआ के मुखिया मो जहांगीर अंसारी, सरपंच मो नौशाद अंसारी समेत कई परिजन भागलपुर कैंप जेल के गेट पहुंचे, जहां वे लोग पटना से शव आने का इंतजार कर रहे थे. मुखिया ने बताया कि 2002 में फिदा हुसैन की हत्या के आरोप में लतीफ जेल में बंद था. एक साल बाद उसकी सजा खत्म होनेवाली थी. उन्होंने बताया कि एक साजिश के तहत उसे जेल के भीतर मारा गया है. प्रशासन पीड़ित परिवार को मुआवजा दे.
लतीफ का बदला गया था वॉल्व
जेल सूत्रों के मुताबिक लतीफ के इलाज में कारा विभाग ने करीब 90 हजार रुपये खर्च किये थे. उसके हर्ट का वॉल्व बदला गया था. अपने व्यवहार को लेकर कैदियों के बीच लतीफ काफी लोकप्रिय था. जेलकर्मी भी लतीफ को नाम से जानते थे. वह बांका जेल से स्थानांतरित होकर एक मई 2008 से कैंप जेल में बंद था, जबकि आरोपी कैदी जंग बहादुर 18 मार्च 2007 से रोहतास से स्थानांतरित होकर कैंप जेल में बंद था.