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अत्ता-पत्ता में सांस्कृतिक विरासत संरक्षित

– कथाकार देवेंद्र सिंह की रचना अत्ता-पत्ता पर विमर्श -विमर्श में जुटे शहर के साहित्यकार, सामाजिक कार्यकर्ता व बुद्धिजीवीफोटो नंबर : आशुतोष जीसंवाददाता, भागलपुरपाठक मंच की ओर से रविवार को तिलकामांझी स्थित एसएमएस मिशन साइंसेज में कथाकार देवेंद्र सिंह रचित उपन्यास अत्ता-पत्ता पर विमर्श का आयोजन किया गया. माधवी ने कहा इस उपन्यास में सांस्कृतिक […]

– कथाकार देवेंद्र सिंह की रचना अत्ता-पत्ता पर विमर्श -विमर्श में जुटे शहर के साहित्यकार, सामाजिक कार्यकर्ता व बुद्धिजीवीफोटो नंबर : आशुतोष जीसंवाददाता, भागलपुरपाठक मंच की ओर से रविवार को तिलकामांझी स्थित एसएमएस मिशन साइंसेज में कथाकार देवेंद्र सिंह रचित उपन्यास अत्ता-पत्ता पर विमर्श का आयोजन किया गया. माधवी ने कहा इस उपन्यास में सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित किया गया है. अर्थशास्त्री प्रो आरडी शर्मा ने कहा कि बचपन में अत्ता-पत्ता खेलते समय कभी सोचा नहीं था कि इस पर इतना जीवंत उपन्यास लिखा जा सकता है. उमाकांत भारती, दिनेश तपन, डॉ अमरेंद्र, प्रो प्रेम प्रभाकर, पीएन जायसवाल, रंजन, डॉ अरविंद आदि ने इसे सफल और श्रेष्ठ औपन्यासिक कृति बताया. डॉ शशि भूषण ने अपने आलेख में आत्मा को केंद्र में रख कर विश्वसनीय तरीके से आसपास का भी जीवंत चित्रण किया. इसमें संयुक्त परिवार की चरमराहट साफ दिखाई पड़ती है. प्रेमचंद और पंचतंत्र की शैली के कारण सूत्रों से कहानियां जन्म लेती जाती है. विमर्श की अध्यक्षता नाटककार लखन लाल सिंह लखन ने व संचालन देवेंद्र सौरभ ने किया. कुमारी विमला, कौशल किशोर सिंह, बाल मुकुंद, अभय भारती, रामानुज राय, राकेश कुमार सिंह, प्रो पीएन राय, सच्चिदानंद इनसान, डॉ जयंत जलद, राज कुमार आदि ने कहा कि उपन्यास में अंगिका शब्दों का भी पुट डाला गया है, जो इसे आंचलिक स्तर पर प्रसिद्धि प्रदान करता है. मौके पर मिशन के प्राचार्य केके सिंह, संजीव कुमार दीपू, राम किशोर, डॉ योगेंद्र, उदय, राहुल, ललन आदि उपस्थित थे.

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