भागलपुर: अमूमन लोग बैंक लॉकरों को घर से ज्यादा सुरक्षित मान कर वहां अपना कीमती सामान रखते हैं, लेकिन यदि लॉकर में किसी प्रकार की क्षति पहुंचती है या चोरी होती है तो संबंधित बैंक जवाबदेह नहीं होता है. आश्चर्यचकित होने की जरूरत नहीं है, यह सच्चई है. आरबीआइ का नियम भी बैंकों के बचाव में खड़ा है. नियमों के मुताबिक लॉकर में रखे समान के खोने या चोरी के मामले में बैंक की ओर से क्षतिपूर्ति का प्रावधान नहीं है. यानी, लॉकर की लूट या चोरी होने की स्थिति में बैंकों की कोई जवाबदेही नहीं बनती है.
बैंकों का तर्क : बैंकों को इस बात की जानकारी नहीं होती है कि लॉकर में किस ग्राहक ने क्या रखा है. इस परिस्थिति में ग्राहकों को किस आधार पर हर्जाना दिया जाये. लॉकर की दो चाबियां होती है. एक ग्राहक के पास तो दूसरी बैंक के पास रहती है. लॉकर को खोलने के लिए दोनों चाबियों की जरूरत होती है. चाबी दोनों के पास रहती है, इसलिए बैंकों की जवाबदेही नहीं बनती है.
लॉकर का होता है बीमा
आमतौर पर बैंक अपने लॉकर का बीमा कर कर रखते हैं. यह बीमा चोरी, आगजनी, बाढ़, आतंकवादी हमला, दीमक से क्षति के संदर्भ में कराया जाता है. इन परिस्थितियों में बैंकों को बीमा कंपनियों से हर्जाना मिलता है, लेकिन हर्जाना की रकम को लॉकर होल्डर के साथ शेयर करने के लिए बैंक बाध्य नहीं हैं.