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70 फीसदी ‘पौध’ को इंजीनियर बनने की चाह

भागलपुर : तकनीक की दुनिया में बिहार गहरी पैठ बनाने को बेकरार यहां की ‘पौध’ (10वीं व 12वीं उत्तीर्ण बच्चे) ने तैयारी शुरू कर दी है. विभिन्न बोर्ड ने 10वीं व 12वीं कक्षा के परीक्षाफल प्रकाशित कर दिया है और उत्कृष्ट परिणाम हासिल करनेवाले बच्चों ने तकनीकी क्षेत्र में कदम रखने के लिए सुगम रास्ते […]

भागलपुर : तकनीक की दुनिया में बिहार गहरी पैठ बनाने को बेकरार यहां की ‘पौध’ (10वीं व 12वीं उत्तीर्ण बच्चे) ने तैयारी शुरू कर दी है. विभिन्न बोर्ड ने 10वीं व 12वीं कक्षा के परीक्षाफल प्रकाशित कर दिया है और उत्कृष्ट परिणाम हासिल करनेवाले बच्चों ने तकनीकी क्षेत्र में कदम रखने के लिए सुगम रास्ते की पहचान करनी शुरू कर दी है. भागलपुर, मुंगेर, सहरसा व पूर्णिया प्रमंडल के बच्चों के बीच हुए सर्वे पर गौर करें, तो यहां के 70 फीसदी बच्चे इंजीनियर बनना चाह रहे हैं.

20 फीसदी बच्चों ने चिकित्सा क्षेत्र को पसंदीदा कैरियर बनाने की सोच रखा है. 10 फीसदी बच्चे प्रबंधन व अन्य क्षेत्रों में प्रतिभा का लोहा मनवाना चाहते हैं. बच्चे ही नहीं, उनके अभिभावकों की भी यह बड़ी परेशानी है कि वे अपने बच्चों को कहां भेजें. वे इसके लिए उपयुक्त शिक्षण संस्थानों, पुस्तकों, आवासीय सुविधाओं व शहरों की तलाश शुरू कर दिये हैं.

बच्चों की शैक्षणिक मामले में जिज्ञासा शांत करने के लिए प्रभात खबर की ओर से छह दिनों तक कैरियर काउंसेलिंग का आयोजन किया गया था. इसमें 150 बच्चों का कॉल आसपास के विभिन्न जिलों से आया. इसमें लगभग 105 बच्चों ने इंजीनियरिंग कॉलेजों की प्रवेश परीक्षाओं के लिए तैयारी करने से संबंधी सवाल पूछे.

30 बच्चों का सवाल मेडिकल एंट्रांस टेस्ट को लेकर था, जबकि 10 फीसदी बच्चों ने प्रबंधन, बैंकिंग, फोटोग्राफी, जर्नलिज्म, एक्टिंग आदि क्षेत्र में जाने की चाहत जतायी. ऐसे में यह कहा जा सकता है कि देश के ये भविष्य इंजीनियरिंग के क्षेत्र को सुरक्षित व सहजता से मिलनेवाला कैरियर मान रहे हैं. बच्चों का कहना था कि इंजीनियरिंग व तकनीक से संबंधित कोर्स करने के बाद उन्हें तत्काल रोजगार मिल जायेगा.

हालांकि ऐसे छात्र भी थे, जिनका कहना था कि वे इंजीनियरिंग के क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा डिग्रियां लेना चाहते हैं, ताकि उनके काम से उनकी पहचान दुनिया में हो सके. बेहतर परिणाम के साथ अच्छा पैकेज चाहते हैं. मेडिकल के क्षेत्र के बारे में काउंसेलरों का कहना था कि मेडिकल में बच्चों की रुचि तो है, लेकिन इंजीनियरिंग से कम.

मेडिकल की पढ़ाई में समय भी अधिक लगता है. प्रतियोगिता भी कठिन है. वहीं इंजीनियरिंग में विकल्प की कमी नहीं है. उनका कहना था कि वे पिछले कई सालों से काउंसेलिंग कर रहे हैं. इसके आधार पर देखा जाये तो ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों में रुझान और भी ज्यादा बढ़ गया है.

* 20 फीसदी बच्चे मेडिकल की करेंगे तैयारी
* 10 फीसदी बच्चे प्रबंधन व अन्य क्षेत्र की पकड़ेंगे राह
* मुंगेर, भागलपुर, सहरसा व पूर्णिया प्रमंडल के बच्चों ने बताया पसंदीदा कैरियर
* तत्काल रोजगार की चाहत से बढ़ा तकनीकी कोर्स का आकर्षण

* प्रभात खबर की ओर से आयोजित कैरियर काउंसेलिंग में छात्रों का रुझान

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