भागलपुर: यह मेरी चाची है. मां समान है. अब भविष्य में डायन नहीं बोलूंगा. किसी भी प्रकार के अपशब्द का इस्तेमाल नहीं करूंगा. डायन शब्द का प्रयोग गांव में नहीं करने की शुक्रवार को 10 लोगों ने कसम खायी. महिला अपराध नियंत्रण सह परामर्श केंद्र महिला कोषांग (हेल्प लाइन) में शुक्रवार को गहमागहमी थी.
डायन बोलने के अपराध की सुनवाई हो रही थी. दोनों पक्षों के बीच समझौता हो रहा था. समझौता करा रहे थे महिला कोषांग के सचिव सत्यनारायण प्रसाद, परियोजना प्रबंधक श्वेत निशा शर्मा, अधिवक्ता अनिता कुमारी पंडित, संजय सिंह, नूतन मिश्र व श्वेता मिश्र. करीब चार घंटे चली बहस के बाद दोनों पक्षों के बीच समझौता हो गया. दोनों ने एक दूसरे के साथ गांव में हंसी खुशी रहने का संकल्प लिया.
दो लोग भेजे गये जेल
इस मामले में न्यायालय ने सिकंदर मंडल व प्रकाश मंडल को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया था. महिला की कहानी सुन हर किसी को आ रहा था गुस्सा महिला कोषांग में पीड़ित महिला अपने भाई बिनोद मंडल के साथ पहुंची थी. उसने अपनी दर्द भरी दास्तां से अवगत कराया. उसने बताया कि गांव में अगर किसी के पेट या सिर में दर्द होता था लोग उस पर डायन होने का संदेह करते थे. लोग आरोप लगाते थे कि वह अपने साथ भूत रखती है.
तीस साल से वह गांव में रह रही है लेकिन इस तरह की बात किसी ने नहीं की थी. वह गांव की पुतहू है इस बात से गांव के कुछ लोगों को-लेना देना नहीं था. जब मामला अत्यधिक गंभीर हो गया तो गांव के 20-25 लोग उसे अमरपुर स्थित बलीकित्ता एक ओझा के यहां ले गये. वे लोग जिस जीप से गये थे उस जीप का किराया और नाश्ता भोजन का किराया भी उसे देना पड़ा. उसकी चांदी की चेन और साड़ी को जलाया गया. इस घटना को तीन साल बीत गये. नदी किनारे ओझा ने भी उसे प्रताड़ित किया. इस दौरान उसके 31 सौ रुपये खर्च हुए. वह खर्च करने के पक्ष में नहीं थी लेकिन विवश थी.
महिला कोषांग ने सुनाया फैसला
22 मई 2013 को महिला कोषांग में मामला दर्ज हुआ. पीड़िता ने बताया कि अभियुक्त केस उठाने की धमकी दे रहे हैं. अगर केस नहीं उठाया तो वे लोग हत्या कर सकते हैं.
चार घंटे तक चली बहस
महिला कोषांग ने चार घंटे की बहस के बाद अहम फैसला सुनाया. कोषांग ने कहा कि महिला के 31 सौ रुपये को 10 लोग बराबर-बराबर राशि दे कर चुकता करें. भविष्य में किसी भी प्रकार के अपशब्द का प्रयोग न करें और डायन शब्द का प्रयोग हरगिज न करें. सभी आरोपितों ने अधिकारियों की बात मान ली.