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17 साल से बगैर लाइसेंस के ही शहर में हो रही है मांस की खुलेआम बिक्री

भागलपुर : पिछले 17 साल से निगम क्षेत्र में बगैर किसी लाइसेंस के ही सैकड़ों मांस की दुकानें धड़ल्ले से चल रहीं हैं. हालत यह है कि, न तो इतने दिनों में निगम ने एक भी लाइसेंस रिन्यू किया और न ही मांस, मछली व चिकेन की दुकानों के लिए नया लाइसेंस ही जारी किया. […]

भागलपुर : पिछले 17 साल से निगम क्षेत्र में बगैर किसी लाइसेंस के ही सैकड़ों मांस की दुकानें धड़ल्ले से चल रहीं हैं. हालत यह है कि, न तो इतने दिनों में निगम ने एक भी लाइसेंस रिन्यू किया और न ही मांस, मछली व चिकेन की दुकानों के लिए नया लाइसेंस ही जारी किया. 2002 से पहले निगम ने इनकी बिक्री के लिए तकरीबन 80 लाइसेंस जारी किया था.

बेहाल-ए-निगम
2002 के पहले तक निगम ने 80 मांस विक्रेताओं को जारी किया था लाइसेंस
पिछले 17 साल से न तो लाइसेंस रिन्यू हुआ और न ही जारी किया गया नया लाइसेंस
मौलानाचक में वर्षों से बंद पड़ी है निगम की पशु वधशाला, निगम की ओर से नहीं हो रही कार्रवाई
सड़क किनारे बाजार क्षेत्र में खुलेआम होती बिक्री : निगम की लापरवाही का आलम यह है कि बगैर लाइसेंस के चल रही दुकानों में न तो प्रदूषण नियंत्रण और न ही खुलेआम इन्हें काटने पर ही रोक नहीं लगायी गयी है.
जबकि खुलेआम आबादी क्षेत्र में पशुओं का काटना प्रतिबंधित है. शहर के तिलकामांझी, भीखनपुर रोड व बरारी सहित शहर के कई इलाकों में यह कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है. हर दिन निगम के अधिकारी और कर्मचारियों के नजरों के सामने सारा कुछ होता है, लेकिन कार्रवाई कुछ नहीं होती.
मंत्री के निर्देश भी हवा-हवाई
तत्कालीन नगर विकास मंत्री सम्राट चौधरी ने शहर में खुले में मांस-मछली की बिक्री पर रोक लगाने का निर्देश दिया था, लेकिन इस निर्देश पर कुछ हुआ ही नहीं. बस निर्देश पर ही काम चल गया. इसके बाद निगम के एक अधिकारी ने इस अभियान को लेकर काम करना भी शुरू किया गया था. और ढंक कर यहां मांस-मछली की बिक्री होने लगी. लेकिन यह अभियान बस कुछ ही दिनों तक चला.
मॉडल पशु वधशाला का प्लान ठंडे बस्ते
2002 तक मौलानाचक में निगम का अपना पशु वधशाला था. लेकिन 2002 के बाद यह बंद हो गया और विभागीय लापरवाही से आजतक वह खुला ही नहीं. जबकि, इस दौरान इसके निर्माण और इसे मॉडल पशु वधशाला बनाने की भी बात हुई. लेकिन यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया है.

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