भागलपुर: तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय कई बार अपने कारनामों से सुर्खियों में रहा है. पिछले चार वर्षो से प्रति विद्यार्थी रिजल्ट तैयार करने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन निजी एजेंसी को 56 रुपये भुगतान करता था.
जब से वर्तमान कुलपति व प्रतिकुलपति ने योगदान दिया है, प्रति विद्यार्थी रिजल्ट तैयार करने के लिए लगभग 16.5 रुपये निजी एजेंसी के लिए तय कर दिया गया है. मोटे तौर पर इस वर्ष तय की गयी राशि चार वर्ष पहले की गयी होती, तो विश्वविद्यालय का लगभग डेढ़ करोड़ रुपये खाते में होते या फिर अन्य विकास कार्य होता.
यह जांच का विषय है कि आखिर किस मानक के आधार पर रिजल्ट तैयार करने के लिए पैसा पानी की तरह बहा दिया गया. चार वर्ष पहले आज की तरह महंगाई भी नहीं थी, फिर भी 56 रुपये प्रति रॉल नंबर के हिसाब से रिजल्ट तैयार करवाया गया. आज कॉपी, प्रिंटिंग, कंप्यूटर आदि अधिक महंगा हो गया है. कर्मियों का वेतन भी उसी अनुरूप बढ़ चुका है. बावजूद निजी एजेंसी लगभग 40 रुपये कम में प्रति विद्यार्थी का रिजल्ट तैयार कर रही है.
मतलब साफ है कि नये दर पर भी निजी एजेंसी को लाभ हो रहा है. निजी एजेंसी पार्ट थ्री व पार्ट टू का रिजल्ट तैयार करती है. हर साल पार्ट थ्री व पार्ट टू के लगभग एक लाख विद्यार्थी का रिजल्ट तैयार होता है. इस तरह जोड़ें, तो पिछले चार वर्ष में लगभग चार लाख विद्यार्थियों का रिजल्ट निजी एजेंसी तैयार कर चुकी है और इस पर विश्वविद्यालय लगभग दो करोड़ 24 लाख रुपये भुगतान कर चुका है. इसी तरह नये दर ( 16.5 रुपये प्रति विद्यार्थी) से हिसाब करें, तो चार वर्ष में विश्वविद्यालय का 66 लाख रुपये खर्च होता. बीते चार वर्षो में विश्वविद्यालय का लगभग एक करोड़ 58 लाख रुपये पानी में बहा दिया गया. विश्वविद्यालय सूत्र ने बताया कि पूर्व में 56 रुपये प्रति रॉल नंबर के हिसाब से रिजल्ट तैयार करने पर निजी एजेंसी को दिया जाता था. इस वर्ष वित्त समिति की बैठक में निर्णय लिया गया कि पार्ट थ्री के लिए 18 रुपये व पार्ट टू के लिए 15 रुपये प्रति विद्यार्थी निजी एजेंसी को दिया जायेगा.