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जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था आइसीयू में
भागलपुर : सदर अस्पताल के साथ साथ जिले के पीएचसी की स्वास्थ्य सेवा आइसीयू में है. यहां चिकित्सकों की घोर कमी है. आलम यह है आधे दर्जन जगहों में महिला चिकित्सक नहीं है तो सदर अस्पताल और गोराडीह पीएचसी को छोड़ कहीं शिशु रोग विशेषज्ञ नहीं है. टीबी रोग के चिकित्सक सदर अस्पताल में एक […]
भागलपुर : सदर अस्पताल के साथ साथ जिले के पीएचसी की स्वास्थ्य सेवा आइसीयू में है. यहां चिकित्सकों की घोर कमी है. आलम यह है आधे दर्जन जगहों में महिला चिकित्सक नहीं है तो सदर अस्पताल और गोराडीह पीएचसी को छोड़ कहीं शिशु रोग विशेषज्ञ नहीं है. टीबी रोग के चिकित्सक सदर अस्पताल में एक थे तो उनका भी तबादला कटिहार कर दिया गया है. सिर्फ जेएलएनएमसीएच में टीबी रोग विशेषज्ञ हैं. जिले में 298 पद चिकित्सक के सृजित है पर कार्यरत 55 हैं. इनमें 16 चिकित्सा पदाधिकारी हैं. इसे देख कर जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल जाना जा सकता है.
जिले में आधे से ज्यादा पीएचसी में नहीं हैं शिशु रोग विशेषज्ञ
जिले में अधिकांश पीएचसी में महिला रोग विशेषज्ञ नहीं है. जिस वजह से मामूली बीमारी होने के बाद भी मरीजों को मायागंज अस्पताल या निजी क्लिनिक का चक्कर लगाना पड़ रहा है. सीमित संसाधन के कारण मायागंज अस्पताल प्रबंधन की भी सांस फूल रही है.
शिशु रोग विशेषज्ञ भी नहीं है पीएचसी में कार्यरत
ग्रामीण क्षेत्रों में चलने वाले पीएचसी में शिशु रोग विशेषज्ञ की भारी कमी है. पिछले दिनों सदर अस्पताल से एक चिकित्सक का तबादला गोराडीह किया गया है. इसके अलावा अधिकांश पीएचसी में चिकित्सक नहीं है. चिकित्सक नहीं रहने के कारण पिछले दिनों नाथनगर रेफरल अस्पताल में नवजात की हालत बिगड़ गयी थी. उसकी मौत इलाज के दौरान मायागंज अस्पताल में हो गयी थी.
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