भागलपुर: राज्य मुख्यालय से भागलपुर के प्रखंड संसाधन केंद्रों में किताब पहुंचने की रफ्तार बहुत ही धीमी है. नौ मई तक राज्य मुख्यालय ने केवल तीन प्रखंडों में किताबें उपलब्ध करायी थी, वह भी सभी विषयों की नहीं.
ऐसे में यही समझा जा रहा है कि विभाग यह मान कर चल रहा है कि बच्चों को विलंब से भी किताब देंगे, तो वे रातों रात अध्ययन पूरा कर लेंगे. अब तक सुलतानगंज, शाहकुंड व कहलगांव में केवल हिंदी की किताबें ही पहुंच पायी हैं. बिहार शिक्षा परियोजना, भागलपुर के पाठ्य पुस्तक प्रभारी की ओर से राज्य मुख्यालय को पांच लाख 58 हजार 745 पुस्तकों का मांग-पत्र भेजा गया था.
जून से शुरू होगा नया सत्र
शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव ने निर्देश दिया था कि इस बार राज्य के सभी स्कूलों में 2013-14 सत्र मई तक चलेगा. बच्चों के शैक्षणिक स्तर को मजबूत करने के लिए इस दो माह में बच्चों को पिछली कक्षा की किताबें ही पढ़ाने का निर्देश दिया गया था. नया सत्र शुरू होने में अब महज 12 दिन शेष रह गये हैं और बच्चों के हाथों में किताबें नहीं पहुंची है. ऐसे में बच्चे बिना किताब के ही स्कूल जाने को मजबूर होंगे.
जहां मिली
सुलतानगंज को हिंदी की 12891 सेट किताबें मिली हैं. इसमें पहली, छठी व आठवीं की किताबें शामिल नहीं हैं. मिश्रित व उर्दू की किताबों का आना तो अभी बाकी ही है. कहलगांव में पांचवीं व छठी कक्षा की हिंदी की ही किताबें आयी हैं. इसी तरह शाहकुंड में दूसरी व छठी कक्षा की किताबें ही आयी हैं.
बाजार में उपलब्ध नहीं है किताब
सरकारी प्रारंभिक विद्यालयों के बच्चों को हर साल शिक्षा विभाग नि:शुल्क किताब उपलब्ध कराता है. इस कारण बाजार में यह उपलब्ध नहीं होती. बच्चे दूसरी किताबें खरीद भी लें, तो वह उनके काम नहीं आयेगी.
राज्य मुख्यालय से सीधे प्रखंड संसाधन केंद्रों में किताबें उपलब्ध करा दी जाती हैं. सभी स्कूलों को ससमय पुस्तकें मिले, इसके लिए विभाग गंभीर है और मुख्यालय से संपर्क भी किया जा रहा है.
देवेंद्र कुमार झा, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, प्रारंभिक शिक्षा