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मां के गले मिले बच्चे, मिली ढेर सारी खुशी

* माता-पिता ने ही बच्चों को ठेकेदार के साथ भेजा था अमृतसर* शुक्रवार को भागलपुर लाये गये थे बच्चे* नाथनगर स्थित रमानंदी देवी अनाथालय में रखा गया था बच्चों कोभागलपुर *: अमृतसर में एक ठेकेदार के चंगुल में फंसे बाल मजदूरों को शनिवार को उनके माता-पिता के हवाले कर दिया गया. सभी बच्चों को शुक्रवार […]

* माता-पिता ने ही बच्चों को ठेकेदार के साथ भेजा था अमृतसर
* शुक्रवार को भागलपुर लाये गये थे बच्चे
* नाथनगर स्थित रमानंदी देवी अनाथालय में रखा गया था बच्चों को
भागलपुर *: अमृतसर में एक ठेकेदार के चंगुल में फंसे बाल मजदूरों को शनिवार को उनके माता-पिता के हवाले कर दिया गया. सभी बच्चों को शुक्रवार को अमृतसर से भागलपुर लाया गया था. सभी बच्चों की उम्र 12-14 वर्ष के आसपास है. बाल कल्याण समिति ने बच्चों को परिजनों को सौंप दिया और उन्हें फिर से बाल मजदूरी नहीं कराने की हिदायत दी.

बच्चों से मिलने के दौरान सभी माताओं की आंखों नम हो गयी थी. बच्चों के परिजनों ने भी स्वीकार किया कि गरीबी के कारण उन्होंने ही अपने बच्चों को नौकरी के लिए ठेकेदार अरविंद कुमार के साथ भेजा था. बच्चों को उनके माता-पिता के सौंपने के दौरान सभी अभिभावकों की पहचान की गयी और गवाह के भी हस्ताक्षर लिये. कागजी कार्रवाई पूरी होने के कारण समिति ने सभी बच्चों को उनके माता-पिता के हवाले कर दिया. इस दौरान समिति के अध्यक्ष डॉ नुसरत युनूस, सदस्य ज्योति लीना मरांडी, मीरा कुमारी, मनोहर सिन्हा, निरंजन चंद्र नंदी आदि मौजूद थे.

* मिलते थे हजार से 15 सौ रुपये
सूचना मिलने पर अपने बच्चों को लेने आयी उनकी माताओं ने बताया कि गरीबी के कारण उन्होंने अपने बच्चों को नौकरी करने के लिए भेजा था. ठेकेदार उन्हें एक हजार से 15 सौ रुपये प्रति माह की नौकरी दिलाने के नाम पर बच्चों को ले गया था और उसे पैसे भी मिल रहे थे. पीरपैंती के ओलनी टोला की गीता देवी, ऊषा देवी, नीलम देवी, कूका देवी ने बताया कि गरीबी के कारण उन्हें सही तरीके से दो वक्त का भोजन नहीं मिलता है.

बच्चों को नौकरी के लिए भेजना उनकी मजबूरी है. इसी तरह अपने बेटे को लेने आयी कहलगांव के मिल्की जगन्नाथपुर निवासी अमोला देवी, बालू टोला पीरपैंती निवासी अनीता देवी ने बताया कि यदि वह अपने बच्चों से नौकरी नहीं करायें तो खायेंगे क्या.

बड़ी मुश्किल से उन्हें महीने में पांच-सात दिन कहीं काम मिलता है. इससे पूरे परिवार का भरण-पोषण नहीं हो पाता है. काम मांगने के बाद भी उन्हें मनरेगा के तहत काम नहीं दिया जाता है. इंदिरा आवास के लाभ से भी वह वंचित हैं. उनके पास बीपीएल कार्ड है और कूपन तो मिलता है, लेकिन राशन कभी-कभार ही मिलता है. आखिर ऐसे में उनका परिवार कैसे चलेगा.

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