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अर्जुन सिंह ने लिखा था जल संकट से निबटने के लिए पत्र

भागलपुर : भागलपुर में पेयजल की समस्या कोई नयी नहीं है. सरकार बदलती रही, अधिकारी बदलते रहे. कभी सांसद, कभी विधायक पत्राचार करते रहे. लेकिन भागलपुर इस संकट से उबर नहीं पाया. वर्ष 1995 में 11 मई को संसद सदस्य अर्जुन सिंह ने बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को पत्र लिख कर भागलपुर […]

भागलपुर : भागलपुर में पेयजल की समस्या कोई नयी नहीं है. सरकार बदलती रही, अधिकारी बदलते रहे. कभी सांसद, कभी विधायक पत्राचार करते रहे. लेकिन भागलपुर इस संकट से उबर नहीं पाया. वर्ष 1995 में 11 मई को संसद सदस्य अर्जुन सिंह ने बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को पत्र लिख कर भागलपुर में पेयजल व बिजली संकट से अवगत कराया था.
ज्ञात हो कि पेयजल की समस्या से निबटने के लिए 20 वर्ष पहले भागलपुर के जेता सिंह (तत्कालीन छात्र नेता व वर्तमान में तपोवर्धन प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र के निदेशक) व उनकी टीम ने आमरण-अनशन किया था. इस पर तत्कालीन सांसद अर्जुन सिंह ने जेता सिंह को भी पत्र भेज कर आग्रह किया था कि वे लोग अपना आमरण-अनशन समाप्त करें और समस्या के निदान के लिए उनकी राज्य सरकार से बात हुई है.
भागलपुर में पेयजल आपूर्ति का इतिहास : भागलपुर में पेयजल आपूर्ति की शुरुआत 1887 में तत्कालीन नगरपालिका के नियंत्रण में वाटर वर्क्स ने की थी. यह भागलपुर नगरपालिका के तत्कालीन उपाध्यक्ष राजा शिव चंद्र बनर्जी की उपलब्धि थी. 1897 में इसका विस्तार चंपानगर तक किया गया. बाद में गंगा की धारा मुड़ गयी और जलस्तर नीचे चला गया.
फिर जलसंकट से उबरने के लिए वर्ष 1923 में तत्कालीन गवर्नर सर हेनरी ह्वीलर ने जलापूर्ति में सुधार के लिए सुझाव लेने के लिए एक कमेटी बनायी. 1951 से 1956 तक कई नलकूपों का निर्माण किया गया. नाथनगर व चंपानगर में बोरिंग कराया गया. बरारी में वाटर वर्क्स को शुरू हुए 100 साल से अधिक हो गये, आबादी बढ़ गयी, लेकिन इस तरह की कोई बड़ी योजना शुरू नहीं हो सकी.

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