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गांगेटिक बेसिन में पानी बना जहर, फन उठा रहा कैंसर

पानी में हेक्सावेलेट क्रोमियम की मात्रा खतरे की घंटी तिलकामांझी विवि के शोध में हुआ खुलासा 0.5 पीपीएम के स्थान पर एक से अधिक पायी गयी मात्रा भागलपुर : गांगेटिक बेसिन का जल जहरीला हो चुका है. इसमें हेक्सावेलेट क्रोमियम नामक तत्व पाया गया है. इसके कारण कैंसर फन उठाने लगा है. यह खतरे की […]

पानी में हेक्सावेलेट क्रोमियम की मात्रा खतरे की घंटी
तिलकामांझी विवि के शोध में हुआ खुलासा
0.5 पीपीएम के स्थान पर एक से अधिक पायी गयी मात्रा
भागलपुर : गांगेटिक बेसिन का जल जहरीला हो चुका है. इसमें हेक्सावेलेट क्रोमियम नामक तत्व पाया गया है. इसके कारण कैंसर फन उठाने लगा है. यह खतरे की घंटी है. अब तक गंगा के तटीय गांवों में पानी में आर्सेनिक और फ्लोराइड की ही अधिकतम मात्रा मिल रही थी लेकिन तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) द्वारा किये गये शोध में पानी में हेक्सावेलेट क्रोमियम पाया गया है.
पानी में हेक्सावेलेट क्रोमियम की मात्रा 0.5 पीपीएम (पार्ट्स पर मिलियन) होना चाहिए जबकि यह एक पीपीएम से अधिक पाया गया. हेक्सावेलेट क्रोमियम की मात्रा अधिक होने के कारण लीवर कैंसर फन उठा रहा है. गांगेटिक जोन के भू-जल में पाये जाने वाले तत्वों को लेकर टीएमबीयू के रसायन शास्त्री डॉ अशोक झा, व्याख्याता बिंदेश्वरी सिंह और पीजी के स्टूडेंट उज्ज्वल कुमार के द्वारा किये गये शोध में यह खुलासा हुआ.
यूजीसी के अलावा सरकार को भेजी गयी रिपोर्ट. रसायनशास्त्री डॉ अशोक झा ने कहा कि शोध में पाया गया कि गांगेटिक बेसिन का पानी पीने लायक नहीं रह गया है. पानी में हेक्सावेलेट क्रोमियम की मात्रा अधिक पायी गयी. इससे लीवर कैंसर का खतरा मंडराने लगा है. नवगछिया अनुमंडल के तीन गांवों में शोध में यह तत्व जितनी होनी चाहिए उससे दोगुनी अधिक पायी गयी. गांव में कैंसर के मरीज भी पाये गये. इसकी रिपोर्ट यूजीसी के अलावा राज्य व केंद्र सरकार को भी भेजी जा चुकी है.
नारायणपुर में आर्सेनिक, जगदीशपुर में फ्लोराइड
जिले के नारायणपुर प्रखंड में पानी में आर्सेनिक तो जगदीशपुर प्रखंड के कई गांवों में फ्लोराइड की मात्रा अधिक पायी गयी. इस वजह से चेहरे पर दाग, दांत में खराबी के अलावा लोगों की हडिड्यां कमजोर हो रही हैं. इन प्रखंडों के कई गांवों में इस तरह के मरीज देखे भी जाते हैं.
सीएसआइआर की टीम भी कर चुकी है भ्रमण
सीएसआइआर के वैज्ञानिक दल की टीम नवगछिया अनुमंडल आ चुकी है. टीम ने दो दिनों तक गांवों में जाकर भ्रमण भी किया था. टीएमबीयू के मुताबिक चापाकल में आयरन रिमूवल एटेंचमेंट लगाने का निर्देश दिया गया था. तत्कालीन जिलाधिकारी ने इसकी पहल भी की थी लेकिन अभी तक यह योजना फाइल में ही है.

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