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टीएनबी लॉ कॉलेज: नहीं मिल रही गार्ड फाइल व वाउचर, नहीं मिल रहा एक करोड़ 16 लाख का हिसाब

भागलपुर: टीएनबी लॉ कॉलेज पिछले सात साल में कॉलेज विकास में खर्च किये गये एक करोड़ 16 लाख रुपये का हिसाब नहीं मिल रहा है. कॉलेज का गार्ड फाइल व वाउचर भी गायब है. मापी पुस्तक तक भी नहीं मिल रहा है. वर्ष 2010 से 2017 तक में कॉलेज में नये भवन बनाये गये हैं. […]

भागलपुर: टीएनबी लॉ कॉलेज पिछले सात साल में कॉलेज विकास में खर्च किये गये एक करोड़ 16 लाख रुपये का हिसाब नहीं मिल रहा है. कॉलेज का गार्ड फाइल व वाउचर भी गायब है. मापी पुस्तक तक भी नहीं मिल रहा है. वर्ष 2010 से 2017 तक में कॉलेज में नये भवन बनाये गये हैं. शिक्षकों से लेकर कर्मचारियों के बीच हिसाब नहीं मिलने से तरह-तरह की चर्चा हो रही है. मामले को लेकर कॉलेज के प्राचार्य व पूर्व प्राचार्य आमने-सामने हैं. प्राचार्य ने कहा कि भवन निर्माण कार्य से जुड़ा कोई रिकार्ड कॉलेज के पास नहीं है.
एक करोड़ 16 लाख का ऑडिट कराने के लिए विवि काे पत्र लिखा गया है. विवि से मांग की गयी है कि सरकारी ऑडिटर से किये गये खर्च का ऑडिट कराया जाये. वहीं, पूर्व प्राचार्य डॉ एसके पांडे ने कहा कि जो आरोप लगाये जा रहे गलत हैं. कॉलेज प्रशासन ऑन स्पॉट जांच करा ले. कॉलेज से मिली जानकारी के अनुसार कुछ साल पहले नया भवन निर्माण कराया गया है. रिडिंग रूम में बारिश होने पर पानी टपकता है. भवन के दीवार कई जगह से चनक गये हैं. प्लास्टर भी टूटने लगा है. कॉलेज प्रशासन नये भवन की स्थिति को लेकर सवाल उठा रहा है.
कॉलेज विकास परिषद को विवि से नहीं मिला अनुमोदन: कॉलेज के लोगों ने बताया कि कॉलेज विकास परिषद को तिलकामांझी भागलपुर विवि से अनुमोदित नहीं किया गया था. विकास परिषद में नामित सदस्यों की अधिसूचना भी विवि से जारी नहीं की गयी है. इसी परिषद ने कॉलेज क्रय समिति का गठन किया. इस समिति में कौन-कौन लोग नामित हैं, इसकी जानकारी कॉलेज प्रशासन को नहीं है.
खर्च किये गये राशि का वाउचर कहां है: प्राचार्य प्रो मधुसूदन सिंह ने बताया कि कॉलेज के विकास के लिए एक करोड़ 16 लाख रुपये खर्च की राशि पूर्व प्राचार्य बताये कहां है. कॉलेज के गार्ड फाइल में वाउचर क्यों नहीं लगाया गया. वर्ष 2001 से लेकर अब तक परीक्षा मद में कॉलेज को 18 लाख रुपये एडवांस मिला है. इसका बिल अब तक विवि में समायोजन क्यों नहीं किया गया है. उन्होंने बताया कि विवि द्वारा उन्हें प्रोफेसर इंचार्ज बनाया गया है. बीपीएससी से ही लॉ संबंधित शिक्षक नियुक्त होकर प्राचार्य बनते हैं. उन्होंने बताया कि पूरे मामले की जांच कराने के लिए विवि को पत्र लिखा गया है. विवि से मांग की गयी है कि सरकारी ऑडिटर से ही कॉलेज की राशि का ऑडिट कराया जाये.

प्राचार्य नहीं बनने देने के लिए की जा रही साजिश
कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ एसके पांडे ने बताया कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया नियम के तहत लॉ से जुड़े लोग ही लॉ कॉलेज के प्राचार्य बन सकते हैं. इसे लेकर काउंसिल ने विवि से पूछा था कि वर्तमान में कॉलेज के प्राचार्य किस संकाय से जुड़े हैं. तीन सप्ताह के अंदर रिपोर्ट भेजे. प्राचार्य नहीं बनने देने के लिए कॉलेज में साजिश की जा रही है. कॉलेज में नया भवन निर्माण विवि के इंजीनियर की देख रेख में किया गया है. निर्माण कार्य में जो राशि खर्च की गयी है, उसका सारा रिकार्ड उनके पास है. कॉलेज चाहे, तो ऑन स्पॉट जांच करा सकती है. विवि प्रशासन के निर्देश पर काम किया गया है. कॉलेज प्रशासन द्वारा जो आरोप लगाया जा रहा है, सरासर गलत व बेबुनियाद है.

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