भागलपुर : अभी तक तो टीम सिर्फ इतना ही तलाश कर पायी है कि किस-किस खाते से पैसे गायब हो गये. पिछले एक सप्ताह में दूसरी उपलब्धि जो जांच टीम के हाथ लगी है, वह यह कि राशि रजिस्टर में राशि ट्रांसफर करनेवाले एक-दो अधिकारी और कुछ कर्मचारी की गिरफ्तारी हो चुकी है. इसके अलावा […]
भागलपुर : अभी तक तो टीम सिर्फ इतना ही तलाश कर पायी है कि किस-किस खाते से पैसे गायब हो गये. पिछले एक सप्ताह में दूसरी उपलब्धि जो जांच टीम के हाथ लगी है, वह यह कि राशि रजिस्टर में राशि ट्रांसफर करनेवाले एक-दो अधिकारी और कुछ कर्मचारी की गिरफ्तारी हो चुकी है. इसके अलावा सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड के दो पदाधिकारी व फर्जीवाड़े में शामिल कंप्यूटर ऑपरेटर व ड्राइवर को भी गिरफ्तार कर लिया गया है.
लेकिन जांच टीम के सामने जो सबसे बड़ी चुनौती है, वह है कि आखिर सरकारी दफ्तर से निकला पैसा कहां चला गया. जमीन निगल गयी या आसमान खा लिया. आमलोगों में इस बात की जोरों पर चर्चा हो रही है कि सरकारी पैसे का निजी उपयोग करनेवाले पर आखिर पुलिस हाथ क्यों नहीं डाल रही है.
अमरेंद्र को पकड़ना भी बड़ी चुनौती
जांच टीम सृजन के घोटाला मामले की जांच करती रही और कई लोग शहर छोड़ गये. वह कितनी आसानी से शहर से निकल गये होंगे, इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि नाजिर अमरेंद्र यादव समाहरणालय से उड़नछू हो गये और किसी को पता तक नहीं चला. बताया जा रहा है कि अमरेंद्र पकड़ में आ गया, तो पुलिस चाहे जिन सवालों में उलझी हो, उसे सुलझाने में अमरेंद्र से बेहतर कोई हो नहीं सकता. अमरेंद्र पिछले 10 अगस्त से ही गायब है और पुलिस उसे ढूंढ़ भी नहीं पा रही है.
अब तक जिन्हें भेजा गया जेल
प्रेम कुमार (डीएम के स्टेनो), अजय पांडेय (इंडियन बैंक के कर्मी), बंशीधर (फर्जी तरीके से बैंक स्टेटमेंट व पासबुक तैयार करनेवाले), राकेश यादव (नाजिर), राकेश झा (नाजिर), सरिता झा (सृजन की प्रबंधक), एससी झा (सृजन के ऑडिटर), अरुण कुमार (जिला कल्याण पदाधिकारी), महेश मंडल (नाजिर)