खोदावंदपुर : सूबे की सरकार नीतीश कुमार विकास को लेकर कई योजनाएं चला रही हैं. बिहार का चहुंमुखी विकास के लिए सात निश्चय कार्यक्रम पर जोर-शोर से बल दिया जा रहा है. निश्चय यात्रा निकाल विकास होने का ढिढोरा पीट अपनी पीठ भी थपथपाने से चूक नहीं रहे हैं लेकिन बिहार की तसवीर कुछ और ही बयां कर रही है. उक्त बातें बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने आंध्रप्रदेश रेल हादसे में शिकार के परिजनों को सांत्वना देने के उपरांत कहीं. उन्होंने उन्होंने बाड़ा पंचायत के मिर्जापुर स्थित दलित टोले को देखते हुए कहा कि बिहार में दलित आज भी इतने पिछड़े है. सबका साथ सबका विकास का ढिंढोरा पीटनेवाली नीतीश सरकार का कथन कहां तक सत्य है. मिर्जापुर स्थित उस दलित टोले में जाने के लिए सड़कें नहीं हैं.
टोले तक पहुंचने के लिए पगडंडियों का सहारा लेना पड़ता है. घर- घर में शुद्ध पेयजल का व्यापक अभाव है. सरकार द्वारा शौचालय नहीं बनाये जाने से खुले में शौच जाने को दलित परिवार मजबूर हैं. शोषित पीड़ितों के मसीहा कहे जानेवाला नीतीश सरकार से पलायन नहीं रुका. पीड़ित परिजनों ने मुआवजा राशि को लेकर केंद्र सरकार पर भेदभाव किये जाने की बाबत उन्होंने कहा कि इसकी जानकारी उन्हें नहीं है कि मुआवजे की राशि में भेदभाव किया गया है. इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि मैं रेल मंत्री से बात करूंगा. मौके पर बीडीओ कुमुद रंजन, बाड़ा पंचायत के पूर्व मुखिया टिंकू राय, दौलतपुर के पूर्व मुखिया बाबू प्रसाद यादव, थानाध्यक्ष रूबीकांत कच्छप, समाजसेवी तरूण कुमार रौशन, रामप्रीत महतो, अमरनाथ मिश्र, कमल कुरेड़ी आदि मौजूद थे.