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दुर्घटनाओं में हो रही मौत के लिए कौन है जिम्मेवार?

सेवा के अभाव में करोड़ों घंटे मानव श्रम का प्रतिदिन हो रहा है नुकसान बेगूसराय (नगर) : काश अगर बेगूसराय जिला मुख्यालय व इसके आस-पास के निवासियों व आइओसीएल के कर्मचारियों व परिजनों को बिक्रमशीला, पूर्वा, जनसाधारण, जनशताब्दी एक्सप्रेस जैसी द्रुतगामी व व्यावहारिक समय-सारिणी पर चलनेवाली कुछ ट्रेनें होतीं, तो बेगूसराय में रहनेवाली होनहार इंजीनियरिंग […]

सेवा के अभाव में करोड़ों घंटे मानव श्रम का प्रतिदिन हो रहा है नुकसान

बेगूसराय (नगर) : काश अगर बेगूसराय जिला मुख्यालय व इसके आस-पास के निवासियों व आइओसीएल के कर्मचारियों व परिजनों को बिक्रमशीला, पूर्वा, जनसाधारण, जनशताब्दी एक्सप्रेस जैसी द्रुतगामी व व्यावहारिक समय-सारिणी पर चलनेवाली कुछ ट्रेनें होतीं, तो बेगूसराय में रहनेवाली होनहार इंजीनियरिंग की छात्रा रिया सिन्हा जैसे होनहारों या दो-दो फौजी भाइयों की सड़क हादसे में जान नहीं जाती.
आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि बेगूसराय से बरौनी, हथिदह, मोकामा, पटना के रास्ते में होनेवाली अधिसंख्य सड़क दुर्घटनाओं के शिकार बेगूसराय या आस-पास के वैसे ही लोग होते रहे हैं, जो ट्रेन पकड़ने के लिए हथिदह, बरौनी या पटना जा रहे होते हैं. कभी तेज रफ्तार ट्रक, सड़क पर गिरा बालू, ओवरलोडिंग, भीषण ठंड व कोहरे के कारण उनकी असमय और दर्दनाक मौत हो जाती है.
मुंह चिढ़ा कर बेगूसराय स्टेशन से निकल जाती हैं 11 जोड़ी ट्रेनें :बेगूसराय के लोगों के साथ उपेक्षा का आलम यह भी है कि इस स्टेशन से प्रतिदन 11 जोड़ी ट्रेन मुंह चिढ़ा कर आगे निकल जाती है. बेगूसराय एवं आस-पास के लोगों को यह समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर बेगूसराय जिसे बिहार की औद्यौगिक राजधानी भी कहा जाता है.
इसके साथ उपेक्षा क्यों हो रही है. सवाल यह है कि नौगछिया, हथिदह, मोकामा जैसे छोटे स्टेशनों पर यदि महत्वपूर्ण लंबी दूरी की ट्रेनों का ठहराव हो सकता है, तो बेगूसराय जैसे महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशनों पर क्यों नहीं है. यह भी आश्चर्यजनक बात ही कहा जाये कि तमाम मजबूरी के बाद भी बेगूसराय रेलवे स्टेशन राजस्व देने में अव्वल है.
ज्ञात हो कि रेलवे की एक नीति के अनुसार उन सभी रेल यात्रियों का जो हथिदह, बरौनी, मोकामा या पटना जाने के लिए ट्रेन पकड़ते हैं. उनके टिकट का पैसा बेगूसराय के बजाय उन स्टेशनों की आमदनी में जोड़ दिया जाता है. चाहे वह टिकट इंटरनेट से कटा हो या फिर काउंटर से. एक अनुमान के अनुसार दिल्ली जानेवाले 90 प्रतिशत से भी ज्यादा छात्र-मजदूर, व्यवसायी उपयुक्त व पर्याप्त रेल सुविधा के अभाव में बरौनी, हथिदह, मोकामा या पटना जाकर ट्रेन पकड़ने के लिए मजबूर होते हैं.
हावड़ा, मुंबई, सूरत, अहमदाबाद, हैदराबाद समेत अन्य शहरों के लिए भी लोगों को अन्यत्र से भी यात्रा शुरू करनी पड़ती है. बेगूसराय स्टेशन साधन और सुविधा संपन्न बने इस दिशा में लगातार विभिन्न संघ-संगठनों के प्रतिनिधियों के द्वारा लगातार आवाज बुलंद की गयी है.
यहां तक कि कई बार रेलवे स्टेशन के निरीक्षण के लिए पहुंचनेवाले रेलवे के आला अधिकारियों का भी ध्यान आकृष्ट कराते हुए इन प्रतिनिधियों के द्वारा स्मार पत्र सौंपा गया है लेकिन बेगूसराय स्टेशन आज भी अपनी बदहाली पर आंसू बहाने को विवश है. यहां के यात्री लंबी दूरी की डायरेक्ट यात्रा करने के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को विवश हो रहे हैं.

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