उपेक्षा के कारण दिखावा साबित हो रहा शहर में स्थापित संग्रहालय,1981 में स्थापित किया गया था संग्रहालयतसवीर-9-उपेक्षित बेगूसराय शहर का संग्रहालयतसवीर-प्रतिक्रिया देने वाले लोगों की तसवीर,लोगों का ध्यान नहीं आकृष्ट करा रहा है संग्रहालय बेगूसराय(नगर). पुरातात्विक, सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक सामग्रियों की सुरक्षा, संवर्धन एवं जनहित में उचित प्रदर्शन के उद्देश्य से बिहार सरकार के द्वारा 1981 में जिला मुख्यालय में स्थापित संग्रहालय विभागीय उपेक्षा के कारण हाथी का दांत बन कर रह गया है. बेगूसराय जिले के विभिन्न क्षेत्रों में मौर्यकाल से लेकर मुगलकाल तक के प्राचीन ऐतिहासिक अवशेष मिले हैं. जयमंगलागढ़, नौलागढ़, बरैपुरा, बिक्रमपुर, नुरूल्लापुर, सिंघौल, राजवाड़ा, गढ़पुरा, डीही, एजनी, एकंबा, मालीपुर, मोरतर, नारीडीह, मेघौल, वासुदेवपुर, कैथ-बरैथ, रोशनाडीह, मसुरिया डीह आदि महत्वपूर्ण प्राचीन ऐतिहासिक स्थल हैं, जहां से समय-समय पर कुछ-न- कुछ प्राचीन वस्तुओं की प्राप्त होती रहती है. जिनसे इस क्षेत्र की प्राचीन सभ्यता एवं संस्कृति पर महत्वपूर्ण प्रकाश पड़ता है. शोधार्थी के लिए अनमोल रत्न हैं संग्रहालय में रखी गयीं प्राचीन वस्तुएंसंग्रहालय में रखे गये दुर्लभतम प्राचीन वस्तुएं पुरातत्व एवं इतिहास के शोधार्थियों को शोध के लिए भी एक अनमोल रत्न है. परंतु संग्रहालय में दर्शनार्थियों की भीड़ नहीं के बराबर जुटती है. जो लोग आते भी हैं, उन्हें संग्रहालय के अंदर रखी गयी वस्तुओं से जुड़े जिज्ञासु प्रश्नों का उत्तर देनेवाला एक भी कर्मी नहीं है. कभी गाइड की नियुक्ति नहीं हुई है. इस कारण से संग्रहालय लोगों का ध्यान अपनी ओर नहीं खींच पा रहा है. संग्रहालय में हैं पांच दीर्घासंग्रहालय में पांच दीर्घा है. जिसे दुर्लभतम ऐतिहासिक पुरातत्व की वस्तुएं रखी गयी हैं. संग्रहालय के सौंदर्यीकरण पर विभाग के द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है. इस कारण से बड़ी जगहों में लगे बगीचे में कोई फूल नहीं खिलते. कोई माली की व्यवस्था नहीं रहने से संग्रहालय का प्रांगण वीरान जैसा दिखाई पड़ता है. सबसे ताज्जुब की बात यह है कि उसी संग्रहालय के पास से दिन से लेकर रात तक शासन और प्रशासन के आला अधिकारियों कर गाड़ियां सायरन मारते हुए निकलती हैं लेकिन अब तक किसी भी पदाधिकारी ने गंभीरतापूर्वक इसकी सुधि नहीं ली. नतीजा है कि संग्रहालय अपनी किस्मत पर आंसू बहाने को विवश है. संग्रहालय के आस-पास अतिक्रमणकारियों का है कब्जालोहियानगर स्थित अंडी रेशम फॉर्म की जमीन के हिस्से में बना यह संग्रहालय के बाहर चहारदीवारी के किनारे अतिक्रमणकारिाों का कब्जा है. इससे इसका कोई आउटलुक नहीं बन पाता है. लोगों को दूर से ही संग्रहालय दिखाई दे इसके लिए न तो कोई बोर्ड लगा हुआ है और न ही कोई रोशनी की व्यवस्था है. अगर संग्रहालय की दीवारों पर विभिन्न तरह की भित्ति चित्रों को उकेड़ दिया जाये, तो लोगों के बीच यह आकर्षण का केंद्र बन सकता है. बेगूसराय संग्रहालय एक नजर में-दीर्घा एक में स्टॉन की 8 वीं सदी व 11 वीं सदी की अत्यंत दुर्लभ मूर्तियां हैं.-दीर्घा दो में काले पत्थर की नवग्रह मूर्त्तियां व इसके अलावे कई पुरातत्व अवशेष भी उपलब्ध है.-दीर्घा तीन में टेरी कोटा के कुछ अति प्राचीनकाल सुरक्षा हथियार उपलब्ध है.-दीर्घा चार तार पत्र पर लिखित अभिलेख जिसकी लिपि शोध का विषय है.-दीर्घा पांच में नवनिर्मित दीर्घा प्राचीन सिक्कों के व्यवस्थित करने के लिए उपलब्ध हैं.-तृतीय श्रेणी के एक कर्मी, चतुर्थ श्रेणी के तीन कर्मियों एवं एक स्वीपर के सहारे चल रहा है जिला संग्रहालय- नहीं है कोई स्थायी अध्यक्ष-निदेशक, संग्रहालय, बिहार, पटना की अध्यक्षता में संचालित होता है संग्रहालय-कोई गाइड की नहीं है नियुक्ति- गार्डन की देखभाल के लिए नहीं है माली-बाहरी सौंदर्य अतिक्रमण का शिकार: संग्रहालय का कोई अध्यक्ष नहीं है. इसका संचालन पटना से किया जाता है. पुरातत्व के बहुत सारे अवशेष स्टोर में ही रखा हुआ है. म्यूजियम का व्यवस्थित कैट लॉग का निर्माण होना बहुत जरूरी है. संग्रहालय पहुंचनेवाले जिज्ञासुओं की अभिरुचि बनी रहे. इसके लिए संग्रहालय को व्यवस्थित और सुसज्जित रखना बहुत ही जरूरी है. डॉ शैलेश कुमार सिन्हाएचओडीप्राचीन भारतीय इतिहास व पुरातत्व: संग्रहालय में एक क्यूरेटर तथा कई सहायक नियुक्त होते हैं. परंतु दुर्भाग्यवश जिला संग्राहलय को स्वतंत्र रूप से कोई क्यूरेटर प्राप्त नहीं है. फलत: संग्रहालय में जानेवाले शोधार्थी जिज्ञासुओं का कोई निर्देशन करनेवाला नहीं है. संगृहीत सभी वस्तु कमरे में कैद है. प्रो फुलेश्वर प्रसाद सिंहसेवानिवृत्त एचओडीप्राचीन भारतीय इतिहास एवं पुरातत्वजीडी कॉलेज, बेगूसराय: दो बार संग्रहालय गयी हूं. हर बार कई सवाल मेरे जेहन में उभरते हैं. परंतु उन सवालों का उत्तर संग्रहालय में मिलता ही नहीं, इसलिए अब जाना छोड़ दिया है.अणु किरणजिज्ञासु दर्शनार्थी
उपेक्षा के कारण दिखावा साबित हो रहा शहर में स्थापित संग्रहालय,1981 में स्थापित किया गया था संग्रहालय
उपेक्षा के कारण दिखावा साबित हो रहा शहर में स्थापित संग्रहालय,1981 में स्थापित किया गया था संग्रहालयतसवीर-9-उपेक्षित बेगूसराय शहर का संग्रहालयतसवीर-प्रतिक्रिया देने वाले लोगों की तसवीर,लोगों का ध्यान नहीं आकृष्ट करा रहा है संग्रहालय बेगूसराय(नगर). पुरातात्विक, सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक सामग्रियों की सुरक्षा, संवर्धन एवं जनहित में उचित प्रदर्शन के उद्देश्य से बिहार सरकार के द्वारा […]
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