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भगवान भरोसे है इकलौता पशु अस्पताल

पशु अस्पताल को अपना भवन नहींनावकोठी. प्रखंड क्षेत्र के 90 प्रतिशत लोगों की कमाई का जरिया पशुपालन है. प्रकृति की मार से परेशान किसान भी पशुपालन में अपनी कैरियर तलाश रहे हैं. दुर्भाग्य की बात यह है कि क्षेत्र में पशुओं के इलाज की व्यवस्था नहीं के बराबर है. कहने को प्रखंड में एकमात्र पशु […]

पशु अस्पताल को अपना भवन नहींनावकोठी. प्रखंड क्षेत्र के 90 प्रतिशत लोगों की कमाई का जरिया पशुपालन है. प्रकृति की मार से परेशान किसान भी पशुपालन में अपनी कैरियर तलाश रहे हैं. दुर्भाग्य की बात यह है कि क्षेत्र में पशुओं के इलाज की व्यवस्था नहीं के बराबर है. कहने को प्रखंड में एकमात्र पशु अस्पताल है जो रजाकपुर गांव में अवस्थित है. यहां बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. तुर्रा यह है कि इस पशु अस्पताल को आज तक अपना भवन नसीब नहीं हो सका है. मिली जानकारी के अनुसार, किराये के मकान में अस्पताल चल रहा है. शायद, यही वजह है कि यहां कभी चिकित्सक नदारद, तो कभी दवा अनुपलब्ध की शिकायतें मिलती रहती हैं. इस संबंध में समसा दुग्ध उत्पादन सहयोग समिति के सचिव जयनारायण कौशिक का कहना है कि पशुओं के इलाज की समुचित व्यवस्था नहीं रहने से पशुपालकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. पशु अस्पताल की हालत में बहुत दयनीय है. लोगों ने कहा कि पशु अस्पताल खुद भगवान भरोसे चल रहा है. इस संबंध में प्रभारी पशु चिकित्सा पदाधिकारी डॉ राजेंद्र प्रसाद साह ने बताया कि पशु अस्पताल में पशुओं का इलाज होता है. दवाइयां भी उपलब्ध करायी जाती हैं. उन्होंने बताया कि नौ पंचायतों से बने इस प्रखंड में एकमात्र पशु अस्पताल है. ऐसे में दूरी को देखते हुए नावकोठी, समसा और पहसारा में पशु स्वास्थ्य उपकेंद्र खोलने की जरूरत है.

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