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वेंकटेश के डायरी लेखन में थी भावात्मकता

श्रद्धांजलि गोष्ठी का किया गया आयोजनबेगूसराय(नगर). जीडी कॉलेज के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष सह दिनकर जयंती समारोह समिति के अध्यक्ष प्रो वेंकटेश्वर प्रसाद सिंह के आकस्मिक निधन पर दिनकर जयंती समारोह समिति एवं जिला साहित्य अकादमी के तत्वावधान में मुक्तकथन कार्यालय में श्रद्धांजलि गोष्ठी का आयोजन किया गया. गोष्ठी की अध्यक्षता प्रो रामसागर राय ने की. […]

श्रद्धांजलि गोष्ठी का किया गया आयोजनबेगूसराय(नगर). जीडी कॉलेज के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष सह दिनकर जयंती समारोह समिति के अध्यक्ष प्रो वेंकटेश्वर प्रसाद सिंह के आकस्मिक निधन पर दिनकर जयंती समारोह समिति एवं जिला साहित्य अकादमी के तत्वावधान में मुक्तकथन कार्यालय में श्रद्धांजलि गोष्ठी का आयोजन किया गया. गोष्ठी की अध्यक्षता प्रो रामसागर राय ने की. इस मौके पर उपस्थित साहित्यकारों व कवियों ने उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धा सुमन निवेदित किया. इस मौके पर प्रो अमरेश शांडिल्य ने कहा कि बड़ी बातों को सहज ढंग से व्यक्त करने की उनमें अद्भुत क्षमता थी. उनके डायरी लेखन में पूरी भावात्मकता व्याप्त है. इस मौके पर डॉ सीताराम सिंह प्रभंजन ने कहा कि उनमें निष्कलुष व्यंग्य लिखने की अदभुद क्षमता थी. वे सफल नाट्य निर्देशक भी थे. उन्होंने सुगमता के साथ विवेकानंद के दर्शन को प्रस्तुत किया. मौके पर बिहार प्रलेस के अध्यक्ष राजेंद्र राजन ने कहा कि बेंकटेश बाबू वस्तुत: तीन पीढि़यों के गुरू थे. संस्मरण लेखक के रू प में उनकी प्रसिद्धि अपने तथा अपने समकालीन से सम्बद्ध होने े कारण हुई. इस मौके पर पूर्व प्रधानाचार्य प्रो बोढ़न प्रसाद सिंह ने कहा कि उनमें सहजता कूट-कूट कर भरी थी. इस अवसर पर जीडी कॉलेज के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ राजेंद्र साह,चंद्रकुमार शर्मा बादल, डॉ रामरेखा, प्रो मिथिलेश कुमारी, सच्चिदानंद पाठक,नरेंद्र कुमार सिंह, अनिल पतंग, डॉ रामनरेश पंडित रमण, रामविलास सिंह समेत अन्य लोगों ने अपने विचारों को रखा. उक्त श्रद्धांजलि सभा जर्नादन प्रसाद सिंह के संयोजकत्व में आयोजित हुआ.

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