अंतिम दिन मिथिला धाम भरौल में उमड़ पड़ी भक्तों की भीड़, मोरारी बापू ने कहा
बेगूसराय/मिथिला धाम : मिथिला धाम बछवाड़ा, भरौल में आयोजित मोरारी बापू की राम कथा के अंतिम दिन रविवार को प्रेम यज्ञ मानस धनुष यज्ञ पर आधारित विश्लेषण यज्ञ का समापन राम-नाम की धुन के साथ संपन्न हो गया.
मौके पर बापू ने यग्नबारे में बताते हुए कहा कि दूसरों के लिए उपयोगी बन जाना, गीता के भाव के निमित बन कर काम करना ही यग्न कर्म है.
अंतिम दिन की कथा में बापू भक्तों के लिए कई संजीवनी बूटी छोड़ गये, जिसे जीवन में उतारने की जरू रत है. बापू ने अपने भक्तों से कथा के दौरान अपील की कि कृपिण बन कर कोई काम मत करना. उदार बन कर काम करना. एक बार फिर कहा कि गुरु पर भरोसा रखना एवं अहंकार को दूर रखना. अहंकार मनुष्य को तोड़ देते हैं. उन्होंने कहा कि गुरु का सम्मान करोगे, तो आगे बढ़ोगे. गुरु के साथ-साथ अपने से बड़ों का भी सम्मान करना चाहिए.
मौके पर बापू ने अयोध्या कांड का हवाला देते हुए कहा कि मनुष्य के लिए अति सुख होना भी खराब है. मनुष्य के जीवन में सुख और दु:ख होना दोनों जरू री है. उन्होंने कहा कि बुरा कर्म का फल इनसान को इसी भूमि पर भुगतना पड़ता है. सत्संग को जीवन में अपना लेना अच्छा है. लेकिन कुसंग में नहीं जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि बुद्धि का नाश होना जीव का नाश होने के बराबर है.
रामचरित मानस के प्रसंगों को सुनाते हुए उन्होंने कहा कि नौ दिनों की कथा में आपने जो कुछ भी ग्रहण किया, उसे अपने जीवन में उतारने का प्रयास करेंगे. अंतिम दिन बापू की कथा सुनने के लिए दूर-दूर से भक्त पहुंचे थे. कड़ी धूप व भीषण गरमी में भी भक्तों का उत्साह चरम पर देखा गया.