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अतिक्रमण से हर रोज जाम में फंसती हैं गाड़ियां
बरौनी (नगर) : बीहट में अतिक्रमण की समस्या दिन-प्रतिदिन विकराल रूप धारण करती जा रही है. आम लोगों को आने-जाने में में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. प्रतिदिन जाम की समस्या से लोग हलकान होते हैं. सबसे ताज्जुब की बात यह है कि प्रतिदिन लोग जाम की समस्या से जूझते हैं. लेकिन […]
बरौनी (नगर) : बीहट में अतिक्रमण की समस्या दिन-प्रतिदिन विकराल रूप धारण करती जा रही है. आम लोगों को आने-जाने में में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. प्रतिदिन जाम की समस्या से लोग हलकान होते हैं. सबसे ताज्जुब की बात यह है कि प्रतिदिन लोग जाम की समस्या से जूझते हैं. लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई ठोस पहल नहीं हुई है. वहीं, सुबह से लेकर शाम तक बीहट चांदनी चौक से लेकर सिमरिया राजेंद्र पुल तक तकरीबन जाम लगा ही रहता है. एक ओर वीआईपी वाहन चालकों की मनमानी तो दूसरी ओर जिला प्रशासन का लचर रवैया.
मुसीबत बनी हुई है. लोग जाम में फंसकर बेहाल हो रहे हैं. किन्हीं की ट्रेन छूट रही है, तो कोई घंटों विलंब से अपने गंतव्य को पहुंच रहा है. जाम में फंसे दूल्हे भी नियत समय से घंटों लेट पहुंचकर फेरे लेने को मजबूर हैं. स्थिति यह है कि प्रतिदिन सैकड़ों लोग पटना, मोकामा, लखीसराय समेत गंगा पार के अन्य इलाके से आकर ड्यूटी करनेवाले राहगीरों को फजीहत झेलनी पड़ रही है. खास कर बीहट से राजेंद्रपुल तक कब जाम लग जाये और वहां कब तक जाम में फंसा रहना पड़े इसका कोई ठिकाना नहीं रहता है.
लोग पैदल चलने को हैं मजबूर :सड़क जाम के कारण पहले से ट्रेनों में रिजर्वेशन कराये यात्रियों का तब और दुख बढ़ जाता है जब जाम में फंसे रहने के कारण उनकी ट्रेन निकल जाती है. इससे उन्हें आर्थिक नुकसान तो सहना ही पड़ता है, फिर से सफर की व्यवस्था करने में मानसिक तनाव भी झेलना पड़ रही है. जाम की स्थिति में अपने परिजनों व सामान के साथ पैदल चलने की विवशता भी झेलनी पड़ती है.
ट्रैफिक की समस्या बढ़ी है :राजेंद्र पुल होकर गुजरनेवाले वाहनों से ट्रैफिक पर इन दिनों दबाव बढ़ा है. इस कारण जाम की समस्या बढ़ी है. ऊपर से बालू और भूसा ढोते वाहन कोढ़ में खाज का काम कर रहे हैं. एनएच-31 से गुजरने वाले ऐसे वाहनों की संख्या इतनी है कि अगर दो-चार मिनट भी आगे-पीछे चलने वाली गाड़ी सड़क पर रुक जाये तो देखते ही देखते उसके पीछे वाहनों की लंबी कतार लग जाती है. अगर एक बार जाम लग गया, तो कब टूटेगा कहना मुश्किल है. जाम में फंसे वाहनों के हजारों रुपये के ईंधन की बर्बादी तो होती ही है, प्रदूषण भी बढ़ता है.
परिचालन सामान्य होने का सब कर रहे हैं इंतजार :आखिर कब जाम से मुक्ति मिलेगी, कब सामान्य होगा परिचालन, इसका सभी इंतजार कर रहे हैं. समाजसेवी पन्नालाल, युवा कांग्रेस अध्यक्ष पवन कुमार, छात्र नेता रामकृष्ण, राकेश कुमार सहित अन्य लोगों का कहना है कि जीरो माइल से लेकर राजेंद्र पुल को पार करने तक का सफर किसी जंग को जीतने से कम नहीं है.
वीआईपी वाहनों के चालकों की दादागिरी
एक तरफ जाम में फंसे एंबुलेंस के अंदर मरीज के साथ परिजनों की सांस अटकी है, तो स्कूल बस में बैठे बच्चे भूख व प्यास से बेहाल होते हैं. ये सब वीआईपी वाहनों के चालकों की दादागिरी के कारण हो रहा है. निजी चरपहिया वाहन से चलने वाले लोग अपने आपको वीआईपी मानकर खुलेआम ट्रैफिक नियमों की धज्जियां उड़ाने में संकोच नहीं कर रहे हैं. हालांकि जाम पर नियंत्रण के लिए जिला प्रशासन द्वारा डंडाधारी सिपाहियों को लगा रखा गया है जो नाकाफी है.
राजेंद्र पुल की दोनों ओर अवैध रूप से खड़े वाहनों के कारण अक्सर जाम की समस्या पैदा होती है. वहीं अति व्यस्त बीहट चांदनी चौक, मल्हीपुर चौक पर अतिक्रमण तथा एनएच पर ही वाहन खड़ा कर यात्रियों को चढ़ाना-उतारना, सब्जी-फल-अनाज की लोडिंग-अनलोडिंग करना भी जाम के प्रमुख कारण हैं.
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