बेगूसराय : बेगूसराय में पर्यटन क्षेत्र की अपार संभावनाएं हैं लेकिन शासन व प्रशासन की उपेक्षा के कारण कोई भी जगह पर्यटन स्थल का रूप नहीं ले सकी है. इससे लोगों में निराशा है. कई बार कुछ प्रयास भी शुरू किये गये, लेकिन यह प्रयास महज कागज तक ही सिमट कर रह गये हैं. मंझौल अनुमंडल स्थित जयमंगलागढ़ वर्षों से आस्था का केंद्र बना हुआ है.
नतीजा है कि असुविधा के बाद भी प्रतिवर्ष यहां हजारों पर्यटक पहुंच कर मां जयमंगला से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और यहां की मनोरम छटा को देख कर भाव-विभोर हो उठते हैं. पर आस्था का केंद्र रहने के बाद भी जयमंगलागढ़ का अपेक्षित विकास नहीं हो पाया है. आज भी शीर्ण-शीर्ण अवस्था में जयमंगलागढ़ का भू-भाग पड़ा हुआ है. पर्यटकों के रहने के लिए न तो आज तक एक बेहतर धर्मशाला बन पायी है और न ही बिजली,सड़क व अन्य व्यवस्थाएं ही उपलब्ध करायी जा सकी हैं.
जयमंगलागढ़ के आस-पास का जो लुक होना चाहिए था, वह आज तक नहीं बन पाया है. अगर जयमंगलागढ़ को व्यवस्थित रूप शासन और प्रशासन के द्वारा दे दिया जाये तो यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं कि जयमंगलागढ़ राज्य ही नहीं राष्ट्रीय स्तर पर भी पर्यटन के क्षेत्र में शुमार हो सकेगा. ज्ञात हो कि बेगूसराय जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर पर स्थित जयमंगलागढ़ लोग सड़क मार्ग से ही मंझौल अनुमंडल के रास्ते पहुंचते हैं.
वर्ष के पहले दिन दो लाख से अधिक पहुंचते हैं लोग : जयमंगलागढ़ की खासियत है कि यहां आनेवाला कोई भी व्यक्ति निराश नहीं लौटता है. इसी का नतीजा है कि पहली जनवरी को यहां आस्था का सैलाब उमड़ता है. लोग वर्ष के पहले दिन मां के दरबार में अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर पूरे वर्ष सुंदर व सुखद भविष्य की गुहार लगाते हैं.
आस्था का केंद्र है जयमंगलागढ़
असुविधा के बीच हजारों की संख्या में विभिन्न क्षेत्रों से पहुंचते हैं लोग
52 ऐतिहासिक शक्तिपीठों में है जयमंगलागढ़ का महत्व
जयमंगलागढ़ का महत्व 52 ऐतिहासिक शक्तिपीठों में है. यह धार्मिक एवं पुरातात्विक महत्व का केंद्र है. दूर-दूर से यहां लोग पहुंच कर यहां की स्थिति का न सिर्फ अवलोकन करते हैं वरन सुख-शांति के लिए मां के दरबार में मन्नतें भी मांगते हैं. बताया जाता है कि सच्चे मन से यहां आनेवाले लोगों को निराश होकर नहीं लौटना पड़ता है.
झील के बीच स्थित है जयमंगलागढ़ : जयमंगलागढ़ गंडक नदी पार कर मंझौल होकर जाया जाता है. यह गढ़ एक झील के बीच में स्थित है, जो कावर झील के नाम से जानी जाती है. इसका दृश्य देखने में एक द्वीप की तरह लगता है. यहां की प्राकृतिक शोभा दर्शनीय है. चारों ओर झील में खिले कमल और बीच में 12 फुट की ऊंचाई पर दुर्ग में जयमंगला देवी का एक भूगर्भ मंदिर है. इसी देवी के नाम पर इस दुर्ग का नाम जयमंगलागढ़ पड़ा. मंदिर में जयमंगला देवी की काले पत्थर की एक छोटी प्रतिमा है, जो काफी प्राचीन जान पड़ती है.
क्या कहते हैं पदाधिकारी
सरकार के स्तर से जिले के ऐतिहासिक स्थलों की सूची रोडमैप के तहत मांगी गयी है. इसकी सूची तैयार कर जिला पदाधिकारी के कार्यालय में उपलब्ध करा दी गयी है.
दुर्गेश कुमार, अनुमंडल पदाधिकारी, मंझौल,बेगूसराय
मेहमानों को लूटने के लिए बिन बुलाये मेहमान सक्रिय