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औषधि निर्माण को लेकर छाये संकट के बादल

विभागीय उपेक्षा के कारण जर्जर हो रही रसायनशाला अभाव के कारण औषधि निर्माण में हो रही परेशानी बेगूसराय : जिले में इलाज की आयुर्वेदिक पद्धति को बढ़ावा देने व जिले की मरीजों की सेवा भाव के लक्ष्य को लेकर अयोध्या प्रसाद सिंह के द्वारा 1946 में काफी जमीन दान की गयी. जिसमें आयुर्वेदिक कॉलेज, दो […]

विभागीय उपेक्षा के कारण जर्जर हो रही रसायनशाला

अभाव के कारण औषधि निर्माण में हो रही परेशानी
बेगूसराय : जिले में इलाज की आयुर्वेदिक पद्धति को बढ़ावा देने व जिले की मरीजों की सेवा भाव के लक्ष्य को लेकर अयोध्या प्रसाद सिंह के द्वारा 1946 में काफी जमीन दान की गयी. जिसमें आयुर्वेदिक कॉलेज, दो छात्रावास व औषधि निर्माण के लिए एक रसायनशाला की स्थापना की गयी .वर्तमान समय में राजकीय आयुर्वेद कॉलेज में प्रतिदिन चार सौ से पांच सौ मरीजों का इलाज तो हो रहा है परंतु सरकार व विभागीय स्तर पर उदासीनता के कारण रसायनशाला औषधि निर्माण में आधारभूत संरचनाओं के लिए तरस रहा है. वर्तमान समय में रशायनशाला कई तरह के अभाव के कारण मरीजों की सेवा में औषधि उपलब्ध कराने में असमर्थ होती जा रही है.
रसायनशाला के छह कमरे खंडहर में तब्दील :रसायनशाला के आठ कमरे में छह कमरे पुराने पड़ जाने के कारण जर्जर होकर ध्वस्त हो गये है. विभाग ने इसके पुर्ननिर्माण के लिए कभी कोई सकारात्मक पहल नहीं की .परिणाम यह हुआ कि कमरे खंडहर में तब्दील होने को हैं. औषधि निर्माण में कठिनाइयां खड़ी हो गयी है.
मात्र दो कमरे में हो रहा औषधि निर्माण :आयुर्वेद औषधि निर्माण विभिन्न तरह की प्राकृतिक जड़ी-बूटियों को कुट-पीस कर किया जाता है.औषधि निर्माण की प्रकिया कई चरणों में संपन्न होती है. जिसमें कई कमरे की आवश्यकता पड़ती है. मात्र दो कमरे के कारण औषधि निर्माण में संकट के बादल छाये हुए हैं.
बगैर प्रबंधक के ही संचालित है रशायनशाला :औषधि निर्माण में विभिन्न तरह के प्रबंधन का कार्य होता है.वर्षों से रशायनशाला में प्रबंधक के पद रिक्त हैं.
उपलब्ध संसाधनों का नहीं हो रहा सही उपयोग:कुछ संसाधनों की कमी के कारण बड़े संसाधनों का भी सही उपयोग नहीं हो पा रहा है. वहीं रशायनशाला में कार्यरत एक मेडिकल अफसर व तीन चतुर्थ वर्गीय कर्मियों पर वेतन आदि पर सरकार खर्च तो कर रही है परंतु काफी मात्रा में औषधियों के निर्माण का लाभ नहीं मिल पा रहा है.
कई महत्वपूर्ण औषधि निर्माण बंद :पूर्ण संसाधनों के अभाव में कई महत्वपूर्ण औषधि का निर्माण बंद हो चुका है. अब सीमित औषधि ही तैयार की जा रही है. जिसके कारण मरीजों को बहुत सारे औषधि बाजार से खरीदना पड़ रहा है.जो काफी महंगी होती है.
विभाग को अस्पताल में औषधि उपलब्ध कराने में अतिरिक्त व्यय भार :एक ओर सरकार व विभाग के द्वारा अस्पताल में दवा उपलव्ध कराने में ब्राडेंड कंपनियों की दवा उपलब्ध कराने में काफी अधिक व्यय करना पड़ रहा है .जबकि मात्र कुछ संसाधनों के पुर्ननिर्माण पर खर्च कर अस्थायी अतिरिक्त व्यय भार से बचा जा सकता है. मरीजों को स्थायी रूप से सस्ते और सुलभ रूप में दवा उपलब्ध कराया जा सकता है.
क्या कहते हैं लोग
विभाग के द्वारा ध्यान नहीं दिये जाने का नतीजा है कि अस्पताल के मरीजों को कुछ औषधि बाजार से खरीदने पर काफी रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं. सरकार व विभाग जब 75 प्रतिशत संसाधनों पर खर्च कर ही रही है तो फिर कुछ सकारात्मक कदम उठाकर कुछ स्थायी खर्च कर उन 75 प्रतिशत पर किये जाने वाले खर्च का भरपूर उपयोग क्यों नहीं उठा रही है.
क्या कहते हैं प्राचार्य
समय-समय पर विभाग को संसाधनों के संबंध में सूचित की जाती रही है. विभाग ने अाश्वासन दिया है.
उमाशंकर चतुर्वेदी,प्राचार्य,राजकीय अयोध्या शिवकुमारी,आयुर्वेदिक महाविद्यालय सह ,अस्पताल

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