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डिब्बाबंद पानी से प्यास बुझाने को लोग मजबूर

परेशानी बढ़ी . चार से पांच फुट गिरा जल स्तर शहर के 22 वार्ड में से आधे से अधिक वार्ड में पीएचइडी की वाटर सप्लाइ नहीं है. बांका : ओढ़नी व चांदन नदी के बीच बसा बांका शहर का जलस्तर बढ़ती गरमी के साथ काफी तेजी से घट रहा है. गरमी के शुरुआत में ही […]

परेशानी बढ़ी . चार से पांच फुट गिरा जल स्तर

शहर के 22 वार्ड में से आधे से अधिक वार्ड में पीएचइडी की वाटर सप्लाइ नहीं है.
बांका : ओढ़नी व चांदन नदी के बीच बसा बांका शहर का जलस्तर बढ़ती गरमी के साथ काफी तेजी से घट रहा है. गरमी के शुरुआत में ही यहां का जलस्तर 4 से 5 फीट नीचे चला गया है. शहर के पूर्वी छोर पर चांदन व पश्चिमी छोर पर ओढ़नी नदी है. विगत कुछ वर्षो से दोनों नदियों में बेतरकीव तरीके से अत्यधिक मात्रा में बालू उठाव होने से खेतों की सिंचाई के साथ-साथ पेयजल का संकट गहराने लगा है.
अत्यधिक मात्रा में बालू उठाव होने के कारण नदी गहरी हो जाने के कारण नदी से जुड़े कई डाड़ व राजडाड़ का लेबल ऊपर हो गया है. जलस्तर नीचे जाने से शहर व ग्रामीण इलाकों की कुंआ व बोरिंग फेल होने लगी है. उधर शहर के 22 वार्डों में से आधे से अधिक हिस्से में पीएचईडी की सप्लाई वाटर सुविधा तक उपलब्ध नहीं है.
शहरवासियों के बीच भी सप्लाई वाटर पाने देने में असक्षम है. कई शहरवासी द्वारा नीजी नलकूप भी लगाया गया है. जो इन दिनों गरमी के शुरूआत में ही जलस्तर से जूझ रही है. पीने के लिए अधिकतर शहरवासी डिब्बाबंद पानी के मोहताज हो गये है. लेकिन कुंआ और नलकूप के सूखने की स्थिति में लोगों को अन्य घरेलू कार्य करने में परेशानी होने लगी है.
पीएचइडी विभाग है सुस्त
पीएचइडी विभाग के द्वारा शहरवासियों को शुद्व पेयजल उपलब्ध कराना एक चुनौती बना हुआ है. 70 के दशक का सप्लाई वाटर की पाइप लाइन जीर्ण-शीर्ण हो चुका है. अधिकतर जगहों पर लोहे की यह पाइप लाइन टूट भी चुकी है. जिसे आज तक मरम्मत तक नहीं किया गया. शहर में दो पानी टंकी है. एक टंकी में एक लाख तो दूसरी टंकी में 25 हजार गैलन पानी की क्षमता है. लेकिन विभागीय लापरवाही के कारण इन टंकी का पानी भी जर्जर पाईप लाईन के वजह से बरबाद हो रही है.
साथ ही इन पाईप लाईन के ऊपर अधिकांश जगहों में पीसीसी सड़क बन चुकी है. अंदर ही अंदर पानी बर्बाद हो रहा है. जबकि शहर के लोग पानी के लिए तरस रहे है. यह दोनों टंकी भी गरमी के दिनों में सभी मुहल्लों में एक समान पानी देने में असफल हो रही है. शहर के कई जगहों पर सप्लाई की पानी बंद पड़ी हुई है.
20 हजार लोग पी रहे हैं डिब्बाबंद पानी
शहर की आबादी लगभग 1.50 लाख से अधिक है. जिसमें परिवारों की संख्या करीब 50 हजार से अधिक है. अमुमन इन परिवारों के आधे से अधिक लोग डिब्बाबंद पानी का सेवन करने को विवश हो चुके है. शहर के मात्र दो प्रतिशत लोग ही अपने घरों में आरओ प्लांट लगाकर शुद्ध पेयजल प्राप्त कर रहे है. शेष बचे परिवार अब भी चापानल के दूषित पानी पीने को विवश है. जिससे अक्सर लोग गंभीर बिमारी के शिकार हो रहे है.
शुद्ध पेयजल के लिए तरस रहे शहरवासी
शहर में कई जगहों पर आयरन युक्त पानी निकलती है. कई वार्डों में शुद्ध पेयजल का घोर आभाव है. यहां तक की विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी स्कूल, सार्वजनिक स्थल, भीड़-भाड़ वाले मुख्य सड़क आजाद चौक, गांधी चौक, शिवाजी चौक, विजयनगर चौक, विभिन्न बैंक शाखा, ऑटो पड़ाव, दोनों बस स्टैंड, कचहरी कैम्पस सहित दर्जनों महत्वपूर्ण जगहों पर सप्लाई वाटर का नल नहीं है. शहरवासी के अलावे स्कूली बच्चा, राहगीर व दैनिक खरीदारी करने वाले ग्रहकों आदि को घोर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. मजबूरी में लोग सड़क किनारे मौजूद चापाकल से निकलते आयरन युक्त पानी से अपना हलक गीला करते है. जबकि शहर की आधी आवादी डिब्बा बंद पानी का मोहताज हो गया.
क्या कहते हैं अधिकारी
शहर में नये पाइप लाइन के लिए डीपीआर तैयार किया गया है. कार्य को जल्द ही गति दी जायेगी. इसके अलावा शहर में मुख्यमंत्री सात निश्चय के तहत हर घर जल का नल योजना की शुरुआत हो चुकी है. नगर प्रशासन को स्वीकृति मिल चुकी है. योजना कार्य का टेंडर हो चुका है. विभाग के द्वारा पूरे शहर को शीघ्र ही शुद्ध पेयजल उपलब्ध करा दी जायेगी.
मनोज कुमार चौधरी, कार्यपालक पदाधिकारी, पीएचइडी विभाग, बांका

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