पर्यावरण संकट . कटोरियों के जंगलों में सुरक्षित नहीं हैं वन्य जीव
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रोक के बावजूद हो रहा शिकार
पर्यावरण संकट . कटोरियों के जंगलों में सुरक्षित नहीं हैं वन्य जीव मोर, हिरण, बंदर लकड़बग्घा, खरहे से भरे हैं जंगल कटोरिया : बढ़ते सघन वन व हरियाली में पूरे राज्य में नंबर वन का पुरस्कार प्राप्त करने वाले कटोरिया वन परिक्षेत्र के कई जंगलों में विभिन्न प्रकार के वन्य-जीव तो हैं. लेकिन उनकी सुरक्षा […]
मोर, हिरण, बंदर लकड़बग्घा, खरहे से भरे हैं जंगल
कटोरिया : बढ़ते सघन वन व हरियाली में पूरे राज्य में नंबर वन का पुरस्कार प्राप्त करने वाले कटोरिया वन परिक्षेत्र के कई जंगलों में विभिन्न प्रकार के वन्य-जीव तो हैं. लेकिन उनकी सुरक्षा व संरक्षण का कोई ठोस उपाय नहीं किये गये हैं. परिणाम स्वरूप क्षेत्र में सक्रिय वन्य जीवों के तस्करों की काली नजर कटोरिया के जंगलों पर भी पड़ चुकी है. वैसे तो वन विभाग के अधिकारियों ने जंगली जानवरों व पक्षियों के शिकार एवं तस्करी करने वालों पर अंकुश लगाने हेतु सुदूरवर्ती क्षेत्र में सूचना तंत्र को मजबूत करने का दावा किया है. लेकिन कटोरिया के बिहारो, भेलवा-पहाड़पुर, सरोखर, भोरसार, खिजुरिया आदि घने जंगलों में स्वतंत्र रूप से विचरण कर रहे राष्ट्रीय पक्षी मोर के अलावा हिरण, बंदर, लकड़बग्घा, शाहिल, खरहा, जंगली सूअर, नीलगाय,
अजगर आदि वन्य-जीवों की जिंदगी पर खतरे मंडरा रहे हैं. जंगलों में पशु-पक्षी पीयार, केंद, कनौदा, बेर, बेल, आम, आंवला, पेड़ों की कोमल पत्तियां, कीट-पतंग आदि खाकर अपने जीवन की रक्षा कर रहे हैं. क्षेत्र के बिहारो व भेलवा-पहाड़पुर जंगलों के ईद-गिर्द कुछ स्थानीय शिकारियों को मोहरा बना कर वन्य-जीवों के तस्कर राष्ट्रीय पक्षी मोर को अपना निशाना बनाने की फिराक में हैं. तीन दिनों पहले भी भेलवा-पहाड़पुर जंगल में दर्जनों की संख्या में विचरण कर रहे मोर को पकड़ने हेतु तस्करों द्वारा जगह-जगह खाद्य-पदार्थों में जहर देकर छोड़ दिया था. हालांकि उक्त जहरीला खाद्य पदार्थों के सेवन से करीब एक दर्जन बंदर बेहोश हो गये थे. जबकि कुछ ग्रामीणों की बकरियां भी मर गयी थी. सूचना पर पहुंचे वन विभाग के अधिकारियों की टीम ने क्षेत्र के ग्रामीणों के साथ एक बैठक की. बैठक में सूइया सह कटोरिया फोरेस्टर धनलाल गिरी ने ग्रामीणों से अपील किया कि वे वन्य-जीवों की सुरक्षा में अपनी भूमिका निभा कर देश के जिम्मेवार नागरिक होने का परिचय दें. साथ ही वन्य जीवों के तस्करों या शिकारियों को देखने पर तुरंत विभाग को सूचित करें. उन्होंने कहा कि जंगली पशु-पक्षी के अंडा फोड़ने, बच्चा या व्यस्क का शिकार करते पकड़े जाने पर वाइल्ड-लाईफ एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज कर दोषियों को जेल भेजा जायेगा.
जंगली हाथियों के अनुकूल है यह इलाका
कटोरिया व चांदन प्रखंड का जंगली इलाका हाथी के लिए काफी अनुकूल है. यहां वर्ष 2003 से लगातार झारखंड के जंगलों से भटक कर हाथियों का झुंड पहुंच जाता है. इनकी संख्या कभी एक, तो कभी डेढ़ दर्जन तक भी रहती है. विशेष कर मार्च-अप्रैल के महीना में महुआ के मौसम में हाथी कटोरिया वन परिक्षेत्र पहुंचते हैं. हालांकि इस दौरान जंगली हाथियों द्वारा जान-माल की भी व्यापक क्षति पहुंचायी जाती है. वन विभाग द्वारा हाथी मैनेजमेंट प्लान के तहत बना प्रोजेक्ट भी पिछले पांच सालों से अधर में ही है.
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