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क्षतिग्रस्त हो सकता है छात्रावास

प्रशासनिक उदासीनता. महाविद्यालय की जमीन पर हो रहा सड़क निर्माण एक ओर जहां सरकार एससीएसटी के जीवन में सुधार लाने के लिए नयी- नयी योजनाएं बना रही है, वहीं कुछ लोगों की दबंगई की वजह से बांका के एससीएसटी छात्रों का भविष्य अंधेरे में समाने जा रहा है. बांका : एससीएसटी के गरीब छात्रों को […]

प्रशासनिक उदासीनता. महाविद्यालय की जमीन पर हो रहा सड़क निर्माण

एक ओर जहां सरकार एससीएसटी के जीवन में सुधार लाने के लिए नयी- नयी योजनाएं बना रही है, वहीं कुछ लोगों की दबंगई की वजह से बांका के एससीएसटी छात्रों का भविष्य अंधेरे में समाने जा रहा है.
बांका : एससीएसटी के गरीब छात्रों को अपने उच्चस्तरीय पढ़ाई पुरा करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. क्यों कि वह जिस छात्रावास में रहकर अपनी पढ़ाई करते है वह तो पहले से ही काफी जीर्णशीर्ण अवस्था में है. अब कॉलेज प्रशासन की बेरूखी की वजह से वह ध्वस्त भी होने वाला है. इसकी मुख्य वजह यह है कि उस छात्रावास से सटे एक कच्ची सड़क का निर्माण हो रहा है. जिससे होकर नदीयों से बालू उठाने वाली भारी वाहन गुजरेगी. उस सड़क के निर्माण का विरोध भी छात्र संगठन के द्वारा आरंभ हो गया है. हालांकि महाविद्यालय प्रशासन का कहना है उन्होंने सड़क निर्माण पर रोक लगाने के लिए प्रशासन को सूचित कर दिया है. मालूम हो कि पिछले कई दशकों से पीबीएस कॉलेज में एससीएसटी का छात्रावास है.
जो रखरखाव की वजह से पहले से ही क्षतिग्रस्त है. फिर भी जिले भर के एससीएसटी के गरीब छात्र उसमें रहकर अपनी इंटर, डिग्री व प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करते है. शहर के स्थानीय लोगों व छात्र संगठनों का कहना है कि अब जब बालू संवेदक के द्वारा उस छात्रावास के पीछे से सड़क का निर्माण कराया जा रहा है और उस सड़क से होकर भारी वाहन गुजरेंगे तो वह अपनी पढ़ाई कैसे करेंगे. अगर भारी वाहन गुजरने से छात्रावास का भवन गिर गया तो उनके जान-माल की भी क्षति हो सकती है.
पहले भी हो चुकी है महाविद्यालय की जमीन पर सड़क निर्माण:
महाविद्यालय का एक बड़ा भू-भाग है. जो छात्रों के खेलने कूदने के लिए थी. लेकिन अब उस भू-भाग पर पिछे बसे मुहल्ले रामपुर के लिए एक सड़क का निर्माण हो गया है. यह इस लिए हो रहा है कि कॉलेज को अपना कैंपस नहीं है. हालांकि उक्त सड़क का निर्माण जिला प्रशासन के सरकारी योजनाओं से किया गया है लेकिन फिर भी अगर महाविद्यालय का यही हाल रहा तो आने वाले समय में महाविद्यालय की जमीन ही गायब हो जायेगी.
वहीं महाविद्यालय के एक छात्रावास में पहले से ही केंद्रीय विद्यालय चल रहा है.
इंदिरा गांधी ने किया था उद्घाटन
इस महाविद्यालय का नाम पीबीएस कॉलेज यानी पंडित बालीराम शर्मा महाविद्यालय है. जानकारों का माने तो वे इस क्षेत्र के महाराजा थे, जिन्होंने स्थानीय बच्चे के लिए अपनी जमीन दान में दी थी. इस महाविद्यालय की आधारशिला पूर्व प्रधानमंत्री स्व इंदिरा गांधी ने रखा था.
सड़क निर्माण की सूचना हमें मिली थी. इसके बाद बांका सीओ को आवेदन देकर जमीन मापी का एनआर कटाये है. सीओ ने 13 फरवरी को नापी का समय दिया है. जिसके बाद अगर वह जमीन महाविद्यालय की रही तो वह उसपर चाहरदीवारी का निर्माण करायेंगे.
सुभाष सिंह, प्राचार्य, पीबीएस कॉलेज, बांका

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