दहशत. एसटीएफ कैंप हटते ही नक्सली हमले की बढ़ी आशंका
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”करमटांड़” का फूटा ”करम”
दहशत. एसटीएफ कैंप हटते ही नक्सली हमले की बढ़ी आशंका नक्सल प्रभावित पिमी कटसकरा पंचायत के करमटांड़ से एसटीएफ कैंप हटने के बाद से व्यवसायियों व ग्रामीणों का पलायन जारी है. कटोरिया : कटसकरा पंचायत के करमटांड़ गांव से पिछले तीन दिनों के भीतर यहां से तेइस परिवारों ने गांव छोड़ दिया है. नक्सलियों के […]
नक्सल प्रभावित पिमी कटसकरा पंचायत के करमटांड़ से एसटीएफ कैंप हटने के बाद से व्यवसायियों व ग्रामीणों का पलायन जारी है.
कटोरिया : कटसकरा पंचायत के करमटांड़ गांव से पिछले तीन दिनों के भीतर यहां से तेइस परिवारों ने गांव छोड़ दिया है. नक्सलियों के दहशत से अन्य लोग भी पलायन की तैयारी में जुटे हैं. एसडीपीओ पीयूष कांत मंगलवार को सूइया व बेलहर पुलिस पदाधिकारियों व बलों के साथ कमरटांड़ गांव पहुंचे. जहां गांव के सैकड़ों महिला-पुरुषों ने दुबारा गांव में एसटीएफ कैंप रखने की मांग की. एसडीपीओ ने ग्रामीणों की मांग से एसपी एवं पुलिस उपमुख्यालय को अवगत कराने का भरोसा दिया. एसडीपीओ के साथ सूइया थाना के सअनि कमल राम, बेलहर थाना के सअनि रामाशंकर यादव एवं अर्द्धसैनिक व बीएमपी बल मौजूद थे.
इस मौके पर शंभु यादव, वीरेंद्र कुमार मोदी, प्रकाश पंडित, पलटू यादव, तुलसी सिंह, प्रवीण पंडित, फुदनी देवी, चिंता देवी, मूलो देवी, ललिता देवी, कमली देवी, सोमा देवी आदि मौजूद थे. ज्ञात हो कि जून 2015 से ही करमटांड़ गांव के कालिका वर्णवाल के मकान में ही एसटीएफ का कैंप स्थापित किया गया था. जिसे गत रविवार को हटा लिया गया है. कैंप हटने के साथ ही व्यवसायियों व ग्रामीणों का पलायन जारी है.
गांव से दूर ली शरण : करमटांड़ गांव में एसटीएफ की अनुपस्थिति में दुबारा नक्सली हमला होने की आशंका को लेकर पलायन करने वाले व्यवसायियों व ग्रामीणों ने परिवार-बच्चों के साथ गांव से दूर रिश्तेदारों के घर शरण ले रखी है. इनमें राधेलाल मोदी, श्यामसुंदर मोदी, जयकुमरा मोदी, बसंत पंडित, भीम पंडित, कालिका वर्णवाल, भूषण मोदी, रवींद्र वर्णवाल, त्रिपुरारी वर्णवाल, रंजन वर्णवाल, संदीप वर्णवाल आदि शामिल हैं.
नमक-तेल पर भी है आफत: व्यवसायियों का पलायन हो जाने से करमटांड़ गांव में नमक-तेल तक की आफत हो गयी है. जरूरत की सामानों के लिए क्षेत्र के लोगों को पांच किलोमीटर दूर बोड़वा बाजार या अठारह किलोमीटर दूर सूइया बाजार जाना पड़ रहा है.
कहां जायें जवान बेटी को लेकर
करमटांड़ गांव से सक्षम लोग तो परिवार व बच्चों के साथ पलायन कर गये. लेकिन शेष बचे गरीब व नि:सहाय लोग कहते हैं कि वे जायें तो कहां जायें. कमली देवी कहती है कि घर-द्वार छोड़ जवान बेटी व बच्चों को लेकर कहां जायें. सहदेव पंडित कहते हैं कि इस नक्सल प्रभावित गांव में बेटा-बेटी की शादी करना भी काफी परेशानी का सबब बन गया है. शादी का रिश्ता करने से सभी इनकार कर देते हैं.
दो बार हो चुका है नक्सली हमला
करमटांड़ गांव में दो बार नक्सली हमला हो चुका है. वर्ष 2003 ई में होलिका दहन के दिन ही नक्सलियों ने हमला बोल कर कालिका वर्णवाल समेत चार व्यवसायियों की लाइसेंसी बंदूक लूट ली थी. गत 28 मई 2015 को नक्सलियों के दल ने गांव में हमला बोल कर छह युवा व्यवसायियों को लेवी हेतु वीरेंद्र कुमार मोदी, रवींद्र वर्णवाल, त्रिपुरारी वर्णवाल, रंजन वर्णवाल, सुरेंद्र वर्णवाल व राधे वर्णवाल को अगवा कर लिया था. पीडि़त वीरेंद्र कुमार मोदी ने बताया कि प्रति व्यवसायी तीन लाख रुपये देने की बात तय होने पर सबों को रिहा कर तीन दिनों की मोहलत दी गयी थी. फिरौती का तगादा नक्सली गांव पहुंच कर करने लगे थे. इसके बाद गांव में एसटीएफ का कैंप स्थापित किया गया था.
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