बौंसी : पर्यटन स्थली मंदार में प्रतिदिन हजारों की संख्या में सैलानी देश के विभिन्न प्रांतों से आते हैं. उन सैलानियों की सुविधा के लिए ब्रिटिश जमाने में ही मंदारहिल रेल लाईन का निर्माण कराया गया था ताकि मंदारहिल में सैलानी आ सकें. इतने सालों तक मंदारहिल रेल लाइन ही एकमात्र रेल सेवा थी जो […]
बौंसी : पर्यटन स्थली मंदार में प्रतिदिन हजारों की संख्या में सैलानी देश के विभिन्न प्रांतों से आते हैं. उन सैलानियों की सुविधा के लिए ब्रिटिश जमाने में ही मंदारहिल रेल लाईन का निर्माण कराया गया था ताकि मंदारहिल में सैलानी आ सकें. इतने सालों तक मंदारहिल रेल लाइन ही एकमात्र रेल सेवा थी जो लोगों को मंदार पर्वत को रेल सेवा से जोड़ती थी. सैलानी एकमात्र मंदारहिल ट्रेन के जरिये ही आते थे. लेकिन इतने महत्वपूर्ण स्थली होने के बावजूद इस स्टेशन को उपेक्षित कर दिया गया है.
लोगों को यह यकीन ही नहीं हो रहा है कि आखिर मंदारहिल स्टेशन की उपेक्षा क्यों की गयी. मंदारहिल स्टेशन इस रेल खंड का सबसे पुराना स्टेशन के तौर पर जाना जाता है. जब स्व.. दिग्विजय सिंह रेल राज्य मंत्री बने तो मंदारहिल स्टेशन के अच्छे दिन आ गये थे और उन्होंने यहां पर भारत का तीसरा रेल यात्री निवास बनवाया. साथ ही रेलवे आफिसर्स आईबी बनवाया जो काफी भव्य है. रेल के बड़े अधिकारी जब यहां आते हैं तो उसी में ठहरते हैं.
क्यों है मंदारहिल महत्वपूर्ण स्टेशन : मंदारहिल पर्वत पूर्व बिहार का सबसे बड़ा पर्यटन केंद्र के तौर पर जाना जाता है. देश भर से सैलानी हर माह यहां पर भ्रमण के लिए आते हैं और इसी रेल लाईन का उपयोग करते हैं. इसके अलावा जैन धर्म के 12वें तीर्थकर भगवान वासुपूज्य की निर्वाण स्थली मंदार में ही है. मंदारहिल स्टेशन के लिए सीधी रेल सेवा नहीं रहने से लोग सड़क मार्ग से मंदारहिल तक आते हैं. लेकिन पटना व कोलकाता रेल सेवा से यह स्टेशन जुड़ जाता है तो रेलवे को काफी संख्या में यात्री मिलेंगे. जिससे रेल को मुनाफा तो होगा ही साथ ही सैलानियों को भी सुविधा होगी. दूसरे मंदार पर्वत भ्रमण पर विदेशी सैलानी भी आते हैं, जो रेल सेवा नहीं होने से काफी परेशानियों का सामना कर यहां आते हैं. साथ ही गुरुधाम आश्रम जहां काफी संख्या में गुरुभाई मंदारहिल आते हैं. जनवरी माह में तो पांच दिनों तक मंदारहिल सवारी गाड़ी को गुरुधाम में ठहराव होता है, काफी संख्या में लोग आकर यहां से रेल की सफर करते हैं. वहीं मनियारपुर आश्रम के अनुयायी देश भर में फैले हुए हैं, जो लगभग हर माह यहां आते हैं, तीसरा भगवान मधुसूदन मंदिर है जिसके आस्थावान श्रद्घालु भी प्रत्येक दिन बौंसी आते हैं. इतना ही मकर संक्रांति के अवसर पर यहां विशाल मेला लगता है. लाखों की संख्या में लोग यहां मकर स्नान करने आते हैं.
छत्तीसगढ़, उड़ीसा, बंगाल, सहित अन्य राज्यों से सफाधर्मी मंदार आते हैं. इतने महत्वपूर्ण स्थली होने के बाद भी इस मार्ग से अबतक लंबी दूरी के ट्रेनों का परिचालन नहीं किया जा सका है. वर्तमान में भागलपुर दुमका तक पैसेंजर सवारी गाड़ी चलायी जा रही है जो सुबह में एक बार ही जाती है और वापस लौट जाती है. ऐसे में क्षेत्र के लोगों की मांग है कि मार्ग पर लंबी दूरी की एक्सप्रेस ट्रेनों को चलाया जाय ताकि झारखंड एवं बंगाल के बड़े शहरों की दूरी घट जाय और यहां के व्यवसायी आसानी से एक दिन में खरीदारी कर महानगर से वापस लौट सकें.
मंदारहिल स्टेशन के लिए सीधी रेल सेवा नहीं होने के कारण सड़क मार्ग से आते हैं लोग