हो रही कार्रवाई. बांका सदर अस्पताल सेवा में सुधार के लिए पहल शुरू
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मौत के बाद टूटी विभाग की तंद्रा
हो रही कार्रवाई. बांका सदर अस्पताल सेवा में सुधार के लिए पहल शुरू आखिरकार एक और जच्चे व बच्चे की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग के आलाधिकारियों की तंद्रा भंग हुई. कार्रवाई भी हुई. लेकिन डॉक्टरों तथा कर्मियों की लापरवाही शिकायतें यहां आम हैं. मरीजों को लगातार परेशानी हो रही है. बांका : बांका सदर […]
आखिरकार एक और जच्चे व बच्चे की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग के आलाधिकारियों की तंद्रा भंग हुई. कार्रवाई भी हुई. लेकिन डॉक्टरों तथा कर्मियों की लापरवाही शिकायतें यहां आम हैं. मरीजों को लगातार परेशानी हो रही है.
बांका : बांका सदर अस्पताल में चिकित्सकीय लापरवाही और व्यवस्था संबंधी कथित खामियों को लेकर आखिरकार स्वास्थ्य विभाग के आलाधिकारियों की तंद्रा भंग हुई है. लेकिन प्रसव के दौरान एक और जच्चे तथा बच्चे की मौत के बाद. विभागीय आलाधिकारी अब अस्पताल की व्यवस्था सुधार में लग गये हैं.
इसके लिए प्रशासनिक पहल शुरू कर दी गयी है. पहली कार्रवाई सदर अस्पताल के उन छह चिकित्सकों और एक दर्जन स्वास्थ्य कर्मियों पर हुई जो अपनी कार्यावधि में ड्यूटी से अनुपस्थित थे. इनमें कई वरीय चिकित्सक भी शामिल हैं. बांका सदर अस्पताल में चिकित्सकों की अनुपस्थिति की आम शिकायतें हैं.
कर्मियों की लापरवाही और मनमानी भी सर चढ़कर बोलती रही है. इस मुद्दे पर अस्पताल परिसर विगत एक साल के दौरान कम से कम आधे दर्जन बार हंगामें और आंदोलन का मूक गवाह बना है. बुधवार को इसी अस्पताल परिसर में एक और हो हंगामा होते – होते रह गया. लेकिन खुशकिस्मती यह रही कि मौके पर पुलिस पहुंच गयी और पीड़ित पक्ष के अनेक बुजुर्गों ने भी संयम दिखाया. जिससे अस्पताल परिसर में ज्यादा हंगामा नहीं हुआ.
वरना लोग तोड़-फोड़ पर उतारू थे. अस्पताल में एक गर्भवती माता राजनंदनी और उसके नवजात की प्रसव के दौरान मौत हो गयी. राजनंदनी को सामान्य रूप से प्रसव हुआ. सब कुछ ठीक-ठाक था. अस्पताल में लेडी डॉक्टर नहीं थी. कुछ देर बाद एकाएक उसकी हालत बिगड़ी तो लेडी डॉक्टर की खोज हुई. डॉक्टर जिनकी ड्यूटी थी, अस्पताल में मौजूद नहीं थी.
नर्स को कहा गया तो उन्होंने प्रसूता के परिवार वालों को झिड़क दिया. प्रसूता की हालत और बिगड़ गयी. एक पुरुष चिकित्सक जो अस्पताल में मौजूद थे, जब उन्हें कहा गया तो पहले तो उन्होंने इस मामले में अपनी जिम्मेदारी न होने की बात कही. लेकिन फिर वे प्रसूता के पास गये. लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी. प्रसूता राजनंदनी और उसके नवजात की मौत हो चुकी थी. इसे लेकर उसके परिजन भड़क गये, लेकिन उन्हीं के परिवार के कुछ बुजुर्गों ने संयम रखने की हिदायत उन्हें की.
ड्यूटी से गायब डॉक्टरों व कर्मियों पर कार्रवाई : इस बार तो मामला ठहर गया लेकिन आगे की किसी अनहोनी को टालने की गरज से सिविल सर्जन ने बुधवार को सदर अस्पताल का सवेरे 11 बजे निरीक्षण किया.
उस वक्त आधे दर्जन चिकित्सक और दर्जन भर कर्मी ड्यूटी से गायब मिले. सिविल सर्जन ने सख्ती दिखाते हुए इन डॉक्टरों तथा कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की. उनसे तीन दिनों के भीतर स्पष्टीकरण मांगा गया है. साथ ही सिविल सर्जन ने उनके एक दिन का वेतन कटौती का भी आदेश दिया. सिविल सर्जन सुधीर कुमार ने कहा कि यदि स्पष्टीकरण संतोषजनक नहीं पाया गया तो डॉक्टरों तथा कर्मियों के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की जायेगी.
हर बार संयमित नहीं रह सकते मरीजों के परिजन
ड्यूटी में लापरवाही स्वीकार्य नहीं
अस्पतालों में चिकित्सकों और कर्मियों की लापरवाही किसी भी स्तर पर बर्दास्त नहीं की जायेगी. बुधवार की कार्रवाई एक नजीर है. सदर अस्पताल जिला मुख्यालय में हैं और यहां ड्यूटी पर चिकित्सकों तथा कर्मियों की अनुपस्थिति किसी भी हालत में स्वीकार्य नहीं है. जिले के विभिन्न प्रखंडों में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तथा रेफरल अस्पतालों में डॉक्टरों को शत प्रतिशत ड्यूटी करनी होगी. वरना वे कार्रवाई झेलने को तैयार रहें.
डॉ सुधीर कुमार, सिविल सर्जन, बांका
पहले ही जिला प्रशासन ने दी थी चेतावनी
इससे पहले भी डीएम और डीडीसी ने कई अवसरों पर स्वास्थ्य विभाग के आलाधिकारियों को चेताया था कि वे अस्पतालों में चिकित्सकों एवं कर्मियों की ड्यूटी शत प्रतिशत सुनिश्चित करें. अस्पतालों में प्रसव के दौरान जच्चे और बच्चे की होने वाली मौतों के पीछे आम तौर पर डॉक्टरों और कर्मियों की लापरवाही ही सामने आती है.
स्वास्थ्य विभाग इन चेतावनियों पर सतर्क नहीं हुआ जिससे बांका सदर अस्पताल में इस तरह का एक और हादसा हो गया. ज्ञात हो कि मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को न्यूनतम करने के लिए राज्य और केंद्र सरकार कई योजनाएं चला रही है. लेकिन चिकित्सा खामियों की वजह से बांका जिले में ये योजनाएं कारगर सिद्ध नहीं हो रही हैं.
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