विभागीय लापरवाही. जहां-तहां गंदगी, कचरे के ढेर और बदबू से हलकान है परिसर
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आखिर क्यों उपेक्षित है पुराना अस्पताल
विभागीय लापरवाही. जहां-तहां गंदगी, कचरे के ढेर और बदबू से हलकान है परिसर तमाम कोशिशों, मांगों, आंदोलन और नेताओं- मंत्रियों के आश्वासनों के बाद भी बांका अनुमंडलीय अस्पताल चालू तो नहीं हो सका, अलबत्ता यह परिसर गंदगी और कचरे के ढेर, अतिक्रमण और असमाजिक तत्वों का अड्डा जरूर बनकर रह गया है. जबकि अस्पताल की […]
तमाम कोशिशों, मांगों, आंदोलन और नेताओं- मंत्रियों के आश्वासनों के बाद भी बांका अनुमंडलीय अस्पताल चालू तो नहीं हो सका, अलबत्ता यह परिसर गंदगी और कचरे के ढेर, अतिक्रमण और असमाजिक तत्वों का अड्डा जरूर बनकर रह गया है. जबकि अस्पताल की सेवाएं बंद होने के बावजूद विभाग के करीब दर्जन भर जिला स्तरीय दफ्तर यहीं चलते हैं.
बांका : त हो कि जनवरी 2010 तक इसी परिसर में जिलास्तरीय कहें या अनुमंडलीय अस्पताल चलता था. यह अस्पताल जिला अस्पताल के रूप में शहर से 3 किलोमीटर जगतपुर स्थित नए भवन में शिफ्ट हो गया. तब से अस्पताल परिसर विभागीय उपेक्षा का शिकार हो कर रह गया है. यह एक विशाल परिसर है. यहां दर्जनों सुसज्जित और सुव्यवस्थित भवन हैं. इन्हीं में से कुछ भवनों में स्वास्थ्य विभाग के जिला स्तरीय कार्यालय आज भी चल रहे हैं.
इनमें विश्व स्वास्थ्य संगठन, प्रतिरक्षण, यक्षमा आदि से जुड़े प्रमुख विभाग भी शामिल हैं. बावजूद इस परिसर की हालत आज देखने लायक है. यह पूरा परिसर गांधी चौक और आसपास के इलाके का कूड़ेदान बना हुआ है. यह अस्पताल नरक की गंदगी को भी मात देने लायक बदबू फैलाकर शहर की सबसे ज्यादा गंदी जगहों में शुमार है. बाजार क्षेत्र और घनी आबादी वाला इलाका होने के साथ अस्पताल परिसर के आस पास अनेक कार्यालय और पड़ोस में मोहल्ले भी हैं. बाजार के होटलों और दुकानों के कचरे भी इसी अस्पताल अस्पताल परिसर में फेंके जा रहे हैं.
यह परिसर सार्वजनिक पार्किंग के साथ-साथ सार्वजनिक शौचालय और मुत्रालय भी बनकर रह गया है. शहर के आवारा जानवर यहां बसेरा बनाए हुए हैं. स्वास्थ विभाग के अधिकारियों और इस परिसर में चलने वाले विभागीय कार्यालयों में पदस्थापित अधिकारियों को यह सब नहीं दिख रहा है.
छह वर्षों से बदहाली कायम
अनुमंडलीय अस्पताल जब तक इस परिसर में कायम रहा तब तक यहां की स्थिति बेहतर थी. जनवरी 2010 तक अनुमंडलीय अस्पताल इसी परिसर में चला. लेकिन इसके बाद बांका में सदर अस्पताल की स्थापना शहर से 3 किलोमीटर दूर कटोरिया रोड में जगतपुर झिरवा के बीच हो जाने के बाद पुराना अनुमंडलीय अस्पताल परिसर लगभग पूरी तरह उपेक्षित हो गया. स्वास्थ विभाग के अनेक जिला स्तरीय कार्यालय तो यहां रहे और कुछ नए भी खुले लेकिन यह परिसर दिन-प्रतिदिन उपेक्षित होता चला गया. ना तो स्वास्थ विभाग में इसकी सुधि ली और ना ही जिला प्रशासन ने. फलस्वरुप यह परिसर गंदगी, बदबू, सडांध और अतिक्रमण का शिकार हो कर रह गया है.
चलते हैं दर्जन भर
विभागीय कार्यालय
पुराने अनुमंडलीय अस्पताल परिसर में अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी, जिला कुष्ठ नियंत्रण विभाग, जिला मलेरिया कार्यालय, जिला फाइलेरिया कार्यालय, विश्व स्वास्थ्य संगठन की जिला इकाई, यूनिसेफ की जिला इकाई, ब्रिटिश सरकार की जिला स्तरीय बी-टार्ट इकाई, खाद्य निरीक्षक कार्यालय और औषधी निरीक्षक कार्यालय अभी चल रहे हैं.
इन कार्यालयों में जिला स्तरीय स्वास्थ्य पदाधिकारियों और दर्जनों विभागीय कर्मचारियों का आना जाना लगा रहता है. यहां चल रहे अनेक विभागों में से चिकित्सा, प्रतिरक्षण व स्वच्छता कार्यक्रमों की जिला स्तर पर मॉनिटरिंग होती है. लेकिन खुद इन विभागों के कार्यालयों और आसपास की क्या तस्वीर है इन्हें भौतिक रूप से देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है के जिले में स्वास्थ्य विभाग की हकीकत क्या है.
अस्पताल चालू होने की बजाए अतिक्रमण व असमाजिक तत्वों का बना अड्डा
जिला स्तरीय करीब दर्जन भर विभागीय कार्यालय चलते हैं इस परिसर में
गलत तरीके से इस्तेमाल करने की छूट किसी को नहीं दी जाएगी
पुरानी अस्पताल परिसर में गंदगी और अतिक्रमण की शिकायतें मिली हैं. इस मामले की जांच कराई जाएगी और इस पर रोक लगाया जाएगा. यह परिसर स्वास्थ्य विभाग का है और इसे गलत तरीके से इस्तेमाल करने की छूट किसी को नहीं दी जाएगी. अस्पताल को चालू कराने की दिशा में भी प्रयास चल रहे हैं. जल्द ही इस पर ठोस निर्णय लिए जाने की उम्मीद की जा सकती है.
प्रभात कुमार राजू, डीपीएम, जिला स्वास्थ्य समिति, बांका
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