22.3 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

कैरी शरीफ में दो दिवसीय उर्स

बौंसी: प्रखंड के पवित्र कैरी शरीफ में सोमवार से दो दिवसीय उर्स शुरू हो गया. बिहार, झारखंड, बंगाल, यूपी सहित देश के अन्य प्रांतों से इसलाम धर्मावलंबियों का आना शुरू हो गया है. पहले दिन सैयद शाह अब्दुल रहमान कादरी का उर्स मनाया जाता है. रात में चादरपोशी व नातिया मुशायरा का आयोजन किया गया. […]

बौंसी: प्रखंड के पवित्र कैरी शरीफ में सोमवार से दो दिवसीय उर्स शुरू हो गया. बिहार, झारखंड, बंगाल, यूपी सहित देश के अन्य प्रांतों से इसलाम धर्मावलंबियों का आना शुरू हो गया है. पहले दिन सैयद शाह अब्दुल रहमान कादरी का उर्स मनाया जाता है. रात में चादरपोशी व नातिया मुशायरा का आयोजन किया गया. इस मौके पर कई नामचीन शायर यहां शिरकत कर रहे है. जिसमें झारखंड के हुनर पलामू, कोलकाता के दिलबर शाही, यूपी के रज्जव अली, जमजम फतेहपुरी, गया के नशीम शैहर, पुरूलिया के लियाक्त हफसैन, भागलपुर के तारीक बुलबुल, गिरीडीह के अख्तर नुरी, गोड्डा के जियाउल हक, कैरी शरीफ के नूर रहमानी, गुलाम मोहम्मद, अली मोहम्मद सहित कई शायर शिरकत किये. मंच संचालन मो तारिक नवर करेंगे. वहीं 21 जनवरी को मौलाना सैयद शाह अब्दुल रहमान कादरी का 41 वां उर्स धूमधाम से मनाया जायेगा. सुबह में कुरानखानी होती है. देर रात तक चादरपोशी होती है. चादरपोशी के बाद जलसा सिर तन्नुबी होगा और मदरसों में पढ़ने वाले दो छात्र को हाफिज की उपाधि दी जायेगी. इसी रात में वर्तमान सज्जादनशी सैयद हसनैन रजा के हाथों दस्तार बंदी होगी. रात्रि 1:55 बजे पर कुल की फातिया परदा जायेगी. जिसमें दुआ कबूल होती है.

क्या है यहां का इतिहास

कैरी शरीफ मुगलिया सलतनत में ही स्थापित हुई है क्योंकि इसमें पूर्व दिशा में हजरत काजी सैयद शाह मोहम्मद इस्लाम अलैयदि रहमा का मजार है. यहां एक प्राचीन मसजिद है. सैयद शाह अब्दुल रहमान कादरी मूल रूप से नवादा जिले के नरहट निवासी है. उनका जन्म 1294 हिजरी में अपने नाना आरिफ विल्लाट शैयद शाह अब्दुल हक कादरी के घर बैथु शरीफ में हुआ था. सैयद शाह हम्मद कादरी ने बताया कि अमरपुर प्रखंड के झरना पहाड़ स्थित चिल्लाकश में इनके नाना ने 12 वर्षो तक कठोर साधना की. अपने दामाद सैयद शाह अब्दुल कादिर को कैरी का गद्दी सौंपा और इस्लामी शिक्षा और धर्म का प्रचार प्रसार का केंद्र बनाया. आज भी यहां 65 मुसलिम छात्रों को नि:शुल्क भोजन, वस्त्र के साथ आलिम, हाफिज एवं मौलवी तक की पढ़ाई करायी जाती है. 26 जनवरी 1973 में खनकाट रहमानिया वजूद में आयी तब से आज तक ये अपने क्षेत्र में शिक्षा का अलख जगा रही है. यहां करीब 60 कमरों का शिक्षा भवन एवं छात्रवास है. वर्तमान में यहां के मुख्य संचालक के जेरे परस्ती में बिहार झारखंड में सैकड़ों मदरसे संचालित हो रहे है. दो दिवसीय उर्स मुबारक के मौके पर यहां भीड़ रहती है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें