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होगी सहूलियत. आम लोगों व प्रशासन की जरूरत है एक अौर अनुमंडल

सुलग रही अनुमंडल की मांग विस्तृत भू-भाग व विशाल आबादी वाले बांका जिले में अरसे से एक और अनुमंडल की स्थापना की मांग की जा रही है. प्रशासनिक अधिकारियों को भी इसकी जरूरत महसूस होती है. लोगों ने कई बार विभिन्न प्रखंडों में इसे लेकर आंदोलन भी किया है. लेकिन सरकार द्वारा इस दिशा में […]

सुलग रही अनुमंडल की मांग

विस्तृत भू-भाग व विशाल आबादी वाले बांका जिले में अरसे से एक और अनुमंडल की स्थापना की मांग की जा रही है. प्रशासनिक अधिकारियों को भी इसकी जरूरत महसूस होती है. लोगों ने कई बार विभिन्न प्रखंडों में इसे लेकर आंदोलन भी किया है. लेकिन सरकार द्वारा इस दिशा में कोई ठोस पहल नहीं की गयी है. कम से कम एक आैर अनुमंडल बना, तो लोगों को दूर जाने की परेशानी कम होगी.
बांका : बांका जिले के कई प्रखंड, अनुमंडल मुख्यालय बनने की लाइन में हैं. जिले में एक और अनुमंडल बनाने की मांग बांका को जिले का दर्जा दिये जाने के साथ ही उठने लगी थी जो अब परवान पर है. अमरपुर, कटोरिया एवं बेलहर के लोग अपने-अपने प्रखंड मुख्यालयों को अनुमंडल मुख्यालय का दर्जा दिये जाने की मांग कर रहे हैं. बांका जिले में फिलहाल एक ही अनुमंडल है जिसका मुख्यालय भी जिला मुख्यालय में ही है.
बांका को 21 फरवरी 1991 को इसके तत्कालीन अनुमंडलीय स्वरूप में ही जिले का दर्जा दिया गया. बावजूद की यहां 11 प्रखंड और डेढ़ दर्जन थाने कार्यरत हैं. पहले यह जिला भागलपुर जिले का एक अनुमंडल हुआ करता था. इस अनुमंडल का इतिहास भी वर्ष 1853 से कायम है. भागलपुर गजेटियर के मुताबिक तत्कालीन बनहारा (अमरपुर) एवं ब्रह्मपुर (बौंसी) निजामतों को एकीकृत कर उस वक्त की ब्रिटिश शासक महारानी विकटोरिया के समय में बांका को अनुमंडल का दर्जा दिया गया था. उस वक्त के बांका अनुमंडल और आज के बांका जिले के भौगोलिक विस्तार में कोई फेर बदल नहीं किया गया.
जिला बनने के बाद भी बांका का अनुमंडलीय भौगोलिक स्वरूप ही एक प्रशासनिक इकाई के अंतर्गत कायम रह गया. 3.19 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले करीब 20 लाख की आबादी वाले बांका जिले में एक और अनुमंडलीय प्रशासनिक इकाई की स्थापना की जरूरत शिद्दत से महसूस की जा रही है. समय – समय पर इस मांग को आवाज भी दी जाती रही है लेकिन इस पर अब तक सरकार की चुप्पी से जिले के लोग भी संशय में हैं.
दूरस्थ आबादी को मिल सकेगी राहत
बांका जिले की उत्तरी और दक्षिणी सीमा की दूरी करीब 90 किलोमीटर जबकि पूर्वी और पश्चिमी सीमा के बीच की दूरी करीब 70 किलोमीटर है. चांदन प्रखंड के सीमावर्ती गांवों के लोगों को दफ्तरों के काम से लगभग 55 से 60 किलोमीटर दूरी तय कर बांका पहुंचना होता है. यही स्थिति पश्चिमी सीमा पर स्थित शंभुगंज प्रखंड के दूरस्थ गांवों के लोगों की भी है. ऐसे में जिले में एक और अनुमंडलीय मुख्यालय की जरूरत लोग शिद्दत से महसूस कर रहे हैं.
लगातार जारी है आंदोलन
कटोरिया, बेलहर और अमरपुर को अनुमंडल मुख्यालय बनाने की घोषणाएं कई बार राजनेताओं और सरकार के मंत्रियों द्वारा मंचों से की जाती रही है. ऐसे में लोगों की आस बढ़ी तो उन्होंने अपनी मांगों को लेकर आंदोलन तक छेड़ दिया. अमरपुर, बेलहर और कटोरिया में अनुमंडल कार्यालय स्थापित किये जाने की मांग को लेकर पिछले दो दशकों के भीतर कई बार सघन आंदोलन हो चुके हैं. धरना, प्रदर्शन एवं भूख हड़ताल इन मांगों को लेकर आज भी अक्सरहां जारी है. कई कसबों में नये प्रखंड निर्माण की भी मांग जोर पकड़ने लगी है. इनमें सूईया, जयपुर, कसबा, भैरोगंज, पुनसिया, पंजवारा और नवादा बाजार शामिल है. जहां के लोग प्रखंड कार्यालय की मांग को लेकर अर्से से आंदोलनरत हैं.
60-70 किलोमीटर दूर आते हैं लोग कार्यालय
प्रशासनिक जरूरत है एक और अनुमंडल
जिले के 11 में से 5 प्रखंड पर्वत श्रृंखलाओं से घिरे पठारी और जंगली भूगोल वाले हैं. इन क्षेत्रों में हाल के दशकों में नक्सली गतिविधियां बढ़ी हैं. फलस्वरूप प्रशासनिक संसाधन एवं क्षमता इन क्षेत्रों में बढ़ाने पड़े हैं. विरल आबादी एवं विस्तृत भू-भाग में फैले इन प्रखंडों में शासकीय व्यवस्था बनाये रखने के लिए थक हार कर पुलिस को तो अपनी अनुमंडलीय इकाई स्थापित तक करनी पड़ी है.
बेलहर को पुलिस अनुमंडल का दर्जा प्राप्त है. लेकिन अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी का कार्यालय कटोरिया में स्थापित है. बेलहर अनुमंडलीय पुलिस को एक साथ आधे दर्जन थानों का नियंत्रण करना होता है. इन थानों की परस्पर दूरी काफी ज्यादा है.

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